बिहार के दर्शनीय स्थान | Bihar ke dershneya sthan

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Bihar ke dershneya sthan by श्री गदाधर प्रसाद अम्बष्ठ विद्यालंकार - Shri Gadadhar Prasad Ambashth Vidyalankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[रेशम इ्यामसर को सेवें कदते हैं । मंगछ ताछाव भी सप्सर मैं से ही एक है। यह नाम अब पटना के एक कछक्टर मि० मैंग्ठस के नाम पर पड़ा है । पटनों-सिटी मुसछमानी वक्त का बसा हुआ शहर हैं। अजीम उइशान ने इस शहर का नाम अपने नाम पर अज्ञीमा- बाद रखा था । यह शहर चारों ओर से घिरा था । इसमें दो मुख्य दरवाजे थे--पूरब दरवाजा ओर पच्छिम दरवाजा । इन दरवाजों के चिह्न अपने स्थान पर अब भी देखने में आते हैं । शहर की दीवाछ भी टूटे फूट रूप में कई जगद देखने में आतीं हैं। शेरशाद्द के बनवायें किले के कुछ हिस्से इस वक्त भी मौजूद हैँ । चोक थाना के पास मदरसा मस्जिद दे जो १६२६ ई० की बनी बतायी जाती हैं। चौक-थाना वह स्थान है. जहाँ चेहऊ सतुन नामक मदाहूर इमारत थी । यहीं फरुकशियर और झाह- आम बादशाह घोषित किये गये थे। यहीं सिराजुद्दोला का पिता सूवेदार देयावत जंग मारा गया था । उसकी कब्र वेगम- पुर में दै जो उसकी खी चिमनी बेगम के नाम पर मदयाहूर है । केन्र के पास पाटछिपुत्र के सप्रसर में से एक सर है जहाँ भादों में मेढा छगा करता है । गंगा के किनारे महदाराजघाट में राजा रामनारायण का महदछ है । इनके अढावे शेरशाह की मस्जिद अम्बर मस्जिद पीर-बहदोर का मंदिर फड्हद्दौछा की बनायी मस्जिद आदि पुराने जमाने की इमारतें हैं । पटना-सिटी के पूृरव बाग-जफरखाँ है जहाँ मुसछमानी वक्त में छोगों को फाँसी आदि की सजा दी जाती थी । वहाँ बक्‍्झो घर और सूछी घर के चिह्न अब भी देखने में आते हें । उसी ओर शुरु का बाग है जहाँ की बावछी देखने योग्य दै। सीटी में जहाँ तहाँ पुराने खेड्हर दीख पढ़ते हैं । रा




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