लड़ाई के बाद | Ladai Ke Bad

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Ladai Ke Bad by मामा वरेरकर - Mama Varerakar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ रै5.] कया लाभ हुभा ? पहिले तो हिम्मत श्रौर साहस का खात्मा हो गया। पाक़मण करने का भय लगने लगा । विदेश-गमन की कल्पना ही दु.सह होने लगी । फिर हम हिन्दू हैं विदेश-गमन के विरोधी । यदि जाने को मिलता तो कोई रास्ता निकालते--पर जाएँ कंसे । शारीरिक परिश्रम करने की शक्ति चाहिए । वह हममे कहाँ खलासी का कास करना चाहे तो जहाज में कदम रखते ही एक-दो खलासियों के हाथ के सहारे की जरूरत पड़ती हैं। फिर समुद्र मे तूफान उठे तो वहाँ हमारे पेर ठहरेंगे भी केसे ? यदि मैं किसी जहाज़ पर खलासी बनकर जाऊँ तो वहाँ मुझे कौंन- सा काम करना पड़ेगा इसकी कल्पना वह कर रहा था । प्ंप्रेजी उपन्यासों मे खासकर क० मेरियट डब्ल्यू डब्ल्यू जैकबूस जोसेफ कानरड के उपन्यासो मे श्राये वर्णांनी को वह याद कर रहा था । उन परिस्थितियों मे क्‍या मेरा निभाव होगा ? उसे विद्वास न होता । पुन तार-प्रेषक यन्त्र मे उसकी पुकार हुई। एक तार श्राया। वह सरकारी बुलेटीन था । युद्ध छिड जाने का समाचार श्राया था । वह जोर से चिल्ला उठा-- भ्ररे बाप रे पोस्टमास्टर ने पूछा--क्या हुम्रा शिघु बाबू ? पोस्टमास्टर की मेज पर तार का फार्म पटककर शिघ्ू जोर-से चिल्लाकर बोला--क्या हुप्रा साहब क्या हुमा श्रनथे हो गया यह देखिए लडाई शुरू हो गई । किसी सर्विया या श्रास्ट्रिया के राजकुमार को सविया या झास्ट्रिया श्रथवा किसी दूसरे देश के मनुष्य ने गोली मार दी । यह देखकर रूस का जार क्रोध से उन्मत्त हो गया और जर्मनी का केसर भ्रपनी सूछो के घुमाव को मोम मलने लगा श्र श्रब लड़ाई शुरू होगी । अरब दो दल बनेंगे । कुछ लोग एक दल में होगे श्रीर कुछ लोग दूसरे दल मे शामिल होगे । दोनो एक दूसरे के साथ लड़ने लगेंगे । हजारो लोग--नहीं लाखो बल्कि करोड़ो लोग मरेंगे । उनकी कोई भ्रन्त्येष्टि-क्रिया नही करेगा |. भागे क्या होगा कौन जाने ?




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