राज सिंह | Raj Singh

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Raj Singh by आचार्य चतुरसेन - Achary Chatursen

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about आचार्य चतुरसेन शास्त्री - Acharya Chatursen Shastri

Add Infomation AboutAcharya Chatursen Shastri

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
राजासिंह पहिला अडडू व पहला दृश्य (सर्थान--उद्यपुर का एक प्रघान बाज़ार । समय ध्रात काल् 1 दो नागरिक सड़क पर खड़े बातचीत कर रदे हैं । बाज़ार बन्दबवार और पताकाओं से सजा डा दै ॥) वक नागरिक--रत्वतुला । सुना तुमने ? दूसरा नागरिक - सुनने की एक ही कही । मैं इन्हीं श्रॉखों से देखकर था रह हूँ । पद्चिला सागरिक--सच ? तो तुम श्री एकलिज्न गये थे ? दूसरा-नहीं तो क्या तुम्हें तो मालूम ही दै वहाँ मेरी साली का घर है | वही जो पद़िलां-( बात काट₹र) तो तुमने मद्दाराणा का रत्नतुला अपनी आँखोंसे देखा?




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now