राज सिंह खंड - १ | Raj Singh Khand -1

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Raj Singh Khand -1  by आचार्य चतुरसेन - Achary Chatursen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रास तब बुढ़िया ने विशेष रज्ञ चढा कर चित्र के कुचले जाने का सारा दाल कह सुनाया | सिम शनि पॉचवाँ परिच्छेद दरिया बीवी वढिया के लड़के का [ साम था शेख खिज्र । वह चित्रकार था । उसको दिल्‍ली में दुबइन थी । मां के पास दो दिन रद्द कर वद्द दिल्‍ली चला गया । दिल्‍ली में उसबी बीवी थी । चह्द दुकान में ही रहती थी । बीवी का नाम था फातिमा । ख्ज्र ने श्रपनी मां से रूपनगर का जो दाल सुना था, वह सब फाहिमा से कद दिया । रुव वां दताने के वाद खिज् ने फातिमा से कहा-- “पुम घभी दरिया बीवी के पास जाश्रो । इस समाचार को वेगम सादा के यहां देचने को कददना--शायद कुछ मिल जाय |?” दरिया बीवी पास के ही मुदान में रहती है । मकान के पिछुवाड़े से जाने की रादद है । इसलिये फातिमा बीवी दिना पर्दे के दी दरिया बीवी के घर ला पहुँची । खिज़ या फातिमा का विशेष परिचय देने की जरूरत नहीं पड़ी; किन्दु दरिया बौवी का दिशेष परिचय चाहिए ही । दरिया वीवी का श्रसल नाम द्रीदुलिसा या ऐसी दी डुछ है। दिन्तु इठ नाम से कोई “उन्हें दुलाता न या--लोग दरिया चीवी द्दी कदते थे । उसके मां-बाप नह्दीं थे, केवल बडी द्न श्रौर एव चूटी पृफी या खाला, ऐसा दी बुछ थी । मकान में कोई मदद नहीं या। दरिया बीवी दी उम्र रुघद वर्ष से श्रघिक नहदीं--उसपर छुछ नाटी थी, पन्द्रद दे से श्राघिक नहीं लान पब्ती थी । दरिया वीवी बहुत सुन्दूरी थी, खिले हुए, फूल जैसी, सदा खिली हुई । न




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