नीति शास्त्र | Neeti Shastra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पहला प्रकरण विपय-प्रचेश नीति-शास्त्र* का विपय नीति-शाह्न क्या है ?--नीति-शाल्न वद शासन दै जिसमें सनुष्य के कर्तव्य और श्रकर्तन्य का विचार किया जाता है। नीति-शास्र नैतिकता * के माप-द्णड का निर्धारण करता है | इम श्रपना कर्तव्य, श्राचरण के कुछ विशेष नियमों को मानकर निश्चित करते हैं | यह शाख्र इन नियर्मों की मौलिकता की परख करता है । समाज मैं श्रनेक प्रकार के श्ाचार-व्यवद्वार के नियम प्रचलित हैं । थे नियम मान की परम्परागत रुढ़ियों * के द्वारा एक पीढ़ी से श्रन्य पीढ़ी तक जाते हैं । गन सनुष्य किसी समाज में लन्म लेता है, तो बह इन श्राचरण के नियमों को अनायास मानने लगता है । मनुष्य समाज के नैतिक नियमों पर विचार करने के पूर्व ही श्रपने श्राचरण * में वैतिकता ले श्राता है । नैतिक श्राचरण करने की शक्ति मनुष्य-समाज से पहले श्राती है | पीछे उसमें नैतिक नियर्सों पर दाशनिक विचार करने की शक्ति श्राती है । निति-शास्र यह निर्णय करता है कि ससांज में मचलित नैतिक नियम कहीं तक मनुष्य के जीवन के सर्वोच्च श्रादर्श को प्रास करने में सद्दायक हो सकते हैं। पर, किसी नियम का श्रौचित्य श्रथवा झनोचित्य तब पेंक निश्चित नहीं किया जा सकता, जब तक मनुष्य को उस कसौटी * का भी शान न हो; लिसके श्रनुसार नियम की सौलिकता को परख की जाती है । यह शा उस माप-दणड की खोज करता है; जिसके दारा श्ाचरण के नियर्मो की ष्दी पेस्ख की जाती है 1? साघारणुत्त: इम समाज में किसी विशेष सन दर तक लेप शव: के प्रचलित 1 छकाट्ड 2, रण 3. सलप्व्तै(काए पिवर्फाघिणाड, वे (०पतेप्रस्‍, 5. 51घघत86,




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