आधुनिक हिंदी साहित्य का विकास | Aadhunik Hindi Sahitya Ka Vikas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15.7 MB
कुल पष्ठ :
486
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका $
परिवर्तनों के तीन मुख्य कारण हैं : (१) भारत में ब्रिटिश राज्य की स्थापना
(२) पैश्चिमीय विचारों तथा भावों का आयात और (३) -्रैंगरेजी साहित्य
का प्रभाव ।
भारत में अंगरेज़ी राज्य एक अयूतपूर्व घटना थी । अँगरेजों ने मुराल
तर पठानों की भाँति बढी-बढ़ी सेनाएँ लेकर भारत पर घावा नहीं किया ।
वे जह्दाज़ों पर व्यापार का माल लादकर श्राए, और उन्होंने भारत में साम्राज्य
स्थापित कर लिया । स्वामी विवेकानन्द ने इस श्रद्धुत व्यापार का चढ़ा सुन्दर
वर्णन किया है :
“पविशाल रानप्रासाद, पुथ्वी को कपित करने वाली श्रश्वारोहियों और
पदातिकों की सेनाओं की घन पदु-चाप, रण-मेरी, युद्ध-तूय तथा मारू बाजे
और राज-सिंहासन के वैभवपूर्ण हृश्य--इन सबके पीछे इंगलैएड की वास्त-
विक सत्ता सदा वर्तमान है--वदद इंगलैएड जिसके यंत्रालयों की सिमनियों के
धूम्र-पटल ही उसकी रण-पतताकारयें हैं, जिसका ब्यापारी-वर्ग ही उसकी रण-
वादिसी है, ससार के व्यापार-केन्द्र ही जिसके रण-क्षेत्र हैं ।” ४
ऑअँगरेज़ी राज्य वस्ठुत. व्वापारी-वध का राज्य है और इसके फल-स्वरूप इस
युग के समाज में वैश्य-त्ति और वैश्य-वर्ग का प्रभुत्व स्थापित होगया जिससे
( द्विन्दी साहित्य में एक नवीन युग का आरंभ हुआ |
भारतवर्ष में जब घ्ाह्मणों को प्रभुता थी, हमारे काव्यकार, वाल्मीकि श्र
व्यास; हमारे शास्रकार और दाशनिक, गौतम, कपिल, कणाद, वैयाकरण
पारिनि और झलकार-शास्र के र्वयिता भरत सभी ऋषि थे | स्वर्य राला
जनक भी एक श्पृषि थे | मौय-साम्राज्य की स्थापना दोने पर क्षत्रियों की
प्रभुता बढ़ने लगी श्र साथ दी साथ भोग-विलास श्र विमव-द्मिमान की
भी लिप्ठा बढ चली और इसकी पूर्ति के लिये अनेक कलाओं श्र विज्ञानों
का आविर्भाव दौर विकास हुआ । सम्राद के वैमव श्रौर श्मिमान निर्धन वी
कुटिया में कैते समा सकते थे ! उनके लिए प्रासादों का निर्माण हुआ । कला-
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