आधुनिक हिंदी साहित्य का विकास | Aadhunik Hindi Sahitya Ka Vikas

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Aadhunik Hindi Sahitya Ka Vikas by डॉ बच्चन सिंह - Dr. Bachchan Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमिका $ परिवर्तनों के तीन मुख्य कारण हैं : (१) भारत में ब्रिटिश राज्य की स्थापना (२) पैश्चिमीय विचारों तथा भावों का आयात और (३) -्रैंगरेजी साहित्य का प्रभाव । भारत में अंगरेज़ी राज्य एक अयूतपूर्व घटना थी । अँगरेजों ने मुराल तर पठानों की भाँति बढी-बढ़ी सेनाएँ लेकर भारत पर घावा नहीं किया । वे जह्दाज़ों पर व्यापार का माल लादकर श्राए, और उन्होंने भारत में साम्राज्य स्थापित कर लिया । स्वामी विवेकानन्द ने इस श्रद्धुत व्यापार का चढ़ा सुन्दर वर्णन किया है : “पविशाल रानप्रासाद, पुथ्वी को कपित करने वाली श्रश्वारोहियों और पदातिकों की सेनाओं की घन पदु-चाप, रण-मेरी, युद्ध-तूय तथा मारू बाजे और राज-सिंहासन के वैभवपूर्ण हृश्य--इन सबके पीछे इंगलैएड की वास्त- विक सत्ता सदा वर्तमान है--वदद इंगलैएड जिसके यंत्रालयों की सिमनियों के धूम्र-पटल ही उसकी रण-पतताकारयें हैं, जिसका ब्यापारी-वर्ग ही उसकी रण- वादिसी है, ससार के व्यापार-केन्द्र ही जिसके रण-क्षेत्र हैं ।” ४ ऑअँगरेज़ी राज्य वस्ठुत. व्वापारी-वध का राज्य है और इसके फल-स्वरूप इस युग के समाज में वैश्य-त्ति और वैश्य-वर्ग का प्रभुत्व स्थापित होगया जिससे ( द्विन्दी साहित्य में एक नवीन युग का आरंभ हुआ | भारतवर्ष में जब घ्ाह्मणों को प्रभुता थी, हमारे काव्यकार, वाल्मीकि श्र व्यास; हमारे शास्रकार और दाशनिक, गौतम, कपिल, कणाद, वैयाकरण पारिनि और झलकार-शास्र के र्वयिता भरत सभी ऋषि थे | स्वर्य राला जनक भी एक श्पृषि थे | मौय-साम्राज्य की स्थापना दोने पर क्षत्रियों की प्रभुता बढ़ने लगी श्र साथ दी साथ भोग-विलास श्र विमव-द्मिमान की भी लिप्ठा बढ चली और इसकी पूर्ति के लिये अनेक कलाओं श्र विज्ञानों का आविर्भाव दौर विकास हुआ । सम्राद के वैमव श्रौर श्मिमान निर्धन वी कुटिया में कैते समा सकते थे ! उनके लिए प्रासादों का निर्माण हुआ । कला- रिटॉिएपे फ्रेट तमट्टणपीट80६ 9ठ80₹5, पेट टच धवाएफ़ 0 हिट टिट ० सावाटड ट्०ाछेड$धघ््ठ 01 ८६१ घफ 200. पिएं] डीपीचाएए फिट हां, शाट 5०05 ए मा धएााफ़ट 5, 00ए1९5 सा ठाएदाई, सपध फिट ह्टाएीतं ठाइए्रान् ० 1८10) व] फिालएट-िफिधिएँ वो] पिच, फिटाट क5. उॉचामक छिट सास फाटटापट 0 हफट्टीडफ--ध3.. दि 208, जा0ध£ भाती885 साध हॉट टॉमिंतए0६)५-दिए 011८5, एका0इ€ (0005 छाट घेशट पादरी पिटण, फरउब्ट (3'टपटाउड 81८ पीट घावधोएटा- एध्रिप्ट5$ 0 पीट र'०110े




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