आदर्श की साधना | Aadarsh Ki Sadhana

Aadarsh Ki Sadhana by मदनलाल 'मधु' - Madanlal 'Madhu'यूरी गेर्मान- Yuri German

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मदनलाल 'मधु' - Madanlal 'Madhu'

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यूरी गेर्मान- Yuri German

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अरे, वांवा सुखारेविच भी तो तुम्हारे ही दर्जे मे है नम! वँसे ता खैर वह गधा है, पर सद्भावनाया से झोतप्रोत गधा । मैंने सुना है वि पढाई मे पिछड़े हुए छात्रा की बह हमेशा मदद करता है। उससे कहो, वह तुम्हारी मदद कर देगा।” वगलवाले कमर म दोदिव ने जोर का ठहाका लगाया। येव्गेनी उठा, घरेलू स्लीपर फटफटाता हुमा दरवाज़े की झार गया श्रौर उसे क्सकर वन्द वर दिया। “मेरी तो समझ म नहीं श्राता दि मैं वया वरू,” उसने ज़रा परेशान होते हुए क्हा। “माटर वारा श्रौर मोटर साइक्ला का धधा करमबाला यह कामरेड तो लगभग चौवीसा घटे यही जमा रहता है। मेरी मा को न जाने उसम कया दिखाई देता है? जब सागर-गजन घर झायेगा , तो मजेदार बातचीत होगी... ” घोलोद्या खाली-खाली श्राखा से उसकी श्रोर देखता रहा। “” सागर- गजन' से येग्गेनी का शायद भ्रपने सौतेले वाप से ही श्रभिप्राय था। उन कितावां से मत्थापच्ची वरते हुए, जिनका सकल के विपया से कोई सम्बध नहीं था, वोलोद्या ने जो उनीदी राते बितायी थी, उनके कारण उसी गुद्दी में दद हो रहा था श्रौर रखें जल रही थी। * मज़ेदार बातचीत क्यो होगी ?” वोलोद्या न प्रछा। “तुम श्रतुमान नहीं लगा सकते क्या ?” ही नही ष हक “मेरे ख्याल में ता पति इस तरह की स्थिति को पसद नही करत । ” यैव्गेनी ने दरवाज़े वी श्रोर सकेत किया , जिसके पार श्रब सदाम लीस की जोरदार हसी सुनाई दे रही थी। वोलोद्या की समझ में फिर भी कुछ नहीं श्राया। “पर खैर , तुम यह बताओ कि मुसे क्या करना चाहिये ?” वोलाया ने पूछा । “कुल मिलावर, मैं तो यही कहूगा कि तुम अपने को सम्भालो , ” येन्गेनी ने जवाव दिया । “भ्रगर मैं तुमसे वैसे ही साफ साफ वात करू, जैस मद मर्द से, तो हकीकत यह है कि तुम मुझसे वही ज्यादा समझदार हो । पर मुसीवत यह है वि तुम कसी एक चीज़ मे देर तक अपना मन ही नहीं लगा पाते। वेशक यह वहुत ही उबानेवाली चीज़ १५




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