अर्ध - मागधी कोष भाग 5 | Ardh - Magdhi Kosh Bhag 5

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Ardh - Magdhi Kosh Bhag 5  by श्री रत्नचन्द्र - Shri Ratan Chandra

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रतनचंद जैन - Ratanchand Jain

Add Infomation AboutRatanchand Jain

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
[ ११ 3 ७, निमी.... निसीवसूत्र इस्तलिखित उद्दश पटम, .. पमचरिश् जैन-घर्म-प्रसारक-सभा, भावनगर, प्रथमावृत्ति पे गाया पच, । पंचसंग्रह ५ इस्तलिखित द्वार, गाथा पचस, ) दर जैन आ्त्मानत्द सभा, भाविनगर, १६१६ का पचभा,. पंचकटपभाष्य इहस्तलिखित पंच, पचवस्तु ध द्वार पा, .. पचासकप्रकरण ...... जैन-धर्म-प्रसारक-सभा, भावनगर, प्रथमावत्त पचासक एचू,... पचकरपचूर्णि हस्तलिखित पग, पथ सत्र त्रिवे्दर संस्कृति सिरिज, छठ पंतू..... पचसूत्र देस्तलिखित सत्र पथ, .... महापचक्खाणपयन्तो.. शा० वालाभाई कक़लमभाई, श्रहमदाबाद, संवतु १६६९ गाथा पहि, .... पंचप्रतिक्रमणसूत्र 1 जन-श्ञान-प्रसारक-मंडल, वम्बई, १९११ २ झात्मानन्द-जैन-पुस्तक-प्रचारक-मंढल, शागरा, १६२१ परण,.... परणवणासुत्त रायधनपतिसिंदवहादुर, बनारस, संवत्‌ १६४० पद्‌ परह, .. प्रश्नव्याकरणसूत्र ... श्रागमोदय-समिति, वम्बई, १६१६ भ्रृतस्कन्ध, हार पभा, .... प्ाक्खाणभाष्य .... भीमसिद् माऐक, वम्बई, संबत्‌ १६६२ गाथा प्वं ) प्रवचनसारोद्धार १ संवत १६३४ - द्वार प्र्व २ दे० ला० पुस्तकोद्धार फंड, १६२२-२१ श पाघ्र, ... प्राइश्नलच्छो नाममाला बी० बी० एएढ कम्पनी, मावनगर, संवत्तु १६७३ पि ग्रमिटिकदेर्‌ प्राकृत- स्प्राखन्‌ डॉ० झार्‌० पिशेल कृत, १६०० पर पिंग, ... प्रकृत पिंगल एसियाटिक सोसाइटी, बंगाल, कराकत्ता, १६०१९ | पिडनियु १ हस्तलिखित | पिंगति, २ दे० ला० पुस्तोकद्धार फंड, बम्बई, १६२९ थक पुष्फ .... पुप्पमाला प्रकरण जैन श्रेयस्कर-मंडल, म्देसाणा, १६११ प्रति, .... प्रतिमानाटक चरिवेन्द्र संस्कृत सिरिज ट था हे प्रयोव चन्द्रोदय निणंय सागर प्रेस, वम्बई, १६१० फ प्रयो, .. प्रतिमायौगन्धरायण . त्रिवे्य संस्कृत सिरिज प्राह, .. आआकृत सर्वस्व ःः ( सार्वरडेय कृत)... विसागाफमु प्राप,... इएट्रडक्शन टु दि श्राकृत पजाव यूनीवर्सिटी, लाहौर, १४१७ थी प्रापर, ... प्रात प्रकाश १ ढा० कवेल-संपादित, लंडन, १८६८ कि 2 २ बंगीय-साहित्य-परिषद्‌, कलकत्ता, १६१४ पर. मत गा्गपवरिका . शाइ हद भूरभाँ, वनरत, १९१९ रे ते शब्द रुपावली सेठ मनदुख भाई भगुभाई, श्रहमदावाद, संत, १६६८




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now