भारतीय साहित्य शास्त्र भाग 2 | Bhartiya Sahitya Shastra Part - ii

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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८ २) दत्तचित्त से डटे हुए हैं परन्तु यह तथ्य बात है कि सस्कृत के अछकार- शास्त्र का प्रामाणिक तथा विस्तृत विवरण अभीतक हिन्दी में प्रस्तुत नहीं किया गया है । अधिकाश आधुनिक आलोचक पाश्चात्य आाछोचना पद्धति पर इतना अधिक आग्रह रखते हैं कि भाज भी वे उन सिद्धान्तो को हिन्दी में अपनाने के पक्षपाती हैं जिनका परित्याग पश्चिम के आलोचकों ने बहुत पह़िले ही कर दिया है। इसीछिए सस्कत में निबद्ध रसशास्र का बहुत ही स्वव्प संश अभीतक हमारी राष्ट्रभाषा में था सका है और जो कुछ आया भी है वह सीधे मूख्य्रन्थो से न आकर इधर-उधर के अधूरे अनुवादो के सहारे ही भाया है । हिन्दी के हितैपी अनेक साहिस्यिक बन्घुमो के आग्रह पर मेने सस्कृत के मुल्यन्थों के आधार पर यह नवीन ग्रन्थ लिखने का प्रयल्ष किया है । मारतीय साहित्यशास्र के छिखने की योजना चार खण्ढों में की गई है। ग्रन्थ का द्वितीय खण्ड आपके सामने. प्रस्तुत है। योजनानुसार प्रथम खण्ड का विषय हेै--सस्कृत तथा हिंस्दी में सिबद्ध सलकार- शाख्र का इतिहास--पाश्चात्य आलाचनाशास्त्र से इसकी तुलना-कवि के उपकरणों का विवेचन--काव्य का भारतीय तथा पाश्चात्य लक्षण भौर वैठक्षष्य नाव्य का स्वरूपनिर्देश । द्वितीय खण्ड का विषय हैं--आौचित्य रीति इचि ( नाय्यब्ृत्ति 3 तथा वक्रोकि का तुलनात्मक विवेचन । तृतीय खण्ड का विषय है--दोष गुण तथा अछकारो का निरूपणु । चतुर्थ खण्ड का विवेंच्य विषय है--ध्वनि का विवेचन दाब्द-बृत्तियों का स्वरूपनिदंश रस का विचार देवतन्त्र मे रसतत्व रसो की संख्या शान्तरत का विवेचन भादि | हमारी दृष्टि मे रसध्वनिवाछा चतुथ खण्ड इस वाइमयमन्दिर का कलद होगा जिसमें पूवखण्डो में वर्णित तत्वों का परस्पर समन्वय तथा सामझस्य दिखाया जायगा। योजना बड़ी अवश्य है। भगवान्‌ के दी अनुभ्रद पर इसका बिघान सफल बनाने की भाशा छगाये बेठा हूँ | मुलग्रन्थ का द्वितीय खण्ड विज्ञ पाठकों के सामने प्रस्तुत किया गया है । इस भाग में वे ही काव्यतरर विवेचित किये गये हैं. जिनकी जानकारी हमारे आाछोचको में अपेक्षाकृत कम है । इस खण्ड में भौचित्य रीति इृत्ति तथा




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