कबीर की विचारधारा | Kabir Ki Vichardhara
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
58.95 MB
कुल पष्ठ :
483
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हक
परिस्थितियों का उनके काव्य पर पर्थोप्त प्रंभाव पढ़ेता है । अतः किसी भी कवि
वी वाणी के प्राण से परिचय प्राप्त करने के लिंए उस कवि के जीवन तथा
उसके व्यक्तित्व के विकास का अध्ययन करना परमावश्यक हे ।
कबीरका अभी तक कोई प्रामाणिक जीवन-वृत्त नहीं लिखा गया हैं। कबीर
साहित्य के प्रसिद्ध विद्वान डा ० राम ऊमार वमा ने अपने सतत कबीर” मं इस
दिशा में सराहनीय काय॑ किया हैं । किन्तु उसे हम कबीर को जीवन सम्बन्धी
जानकारी को “इति” नहीं कह सकते । किसी भी कवि.या महापरुष के जीवन
वृत्त का निमाण करने के लिए हमें बहिस्सादयों चार अन्तस्सादयों का. आश्रय
लेना पड़ता है । यहाँ हम पहले बहिस्साइय को सामग्री पर विचार करेंगे ।
बहिस्साकष्य की सामग्री
कबोर के जीवन से सम्बन्धित बहिंस्सादय की सामग्री के रूप में हमें
तीन “चीजें मिलती हैं । मर
(क) वे प्राचीन प्रन्थ जिनमें कबीर का कुछ न कुछ विवरण/'श्राप्त होता
हैं । उन्नीसवीं आर बोसवीं शताब्दी के विद्वानों ने राय: इन्हों ग्रन्थों के
आधार पर उनका जोवन-दृत्त लिखा है । न पर कर जहर
(ख) कबीर से सम्बन्धित स्थान, झॉर वस्तुएं ।
(ग) जन-श्रतियँ । क
हम क्रमश इनमें, से, एक-एक का उल्लेख करते हैं
(क,) प्राचीन ग्रन्थों के रूप में प्राप्त बहिस्सादय की सामग्री
(१) नाभादास कृत भक्तमाल.:--इस ग्रन्थ का रचना. .काल « लगभग
१५८४ इ० माना जाता है। इस ग्रन्थ म॑ कबीर के सम्बन्ध में केवल दो...
पद दिए हैं । इनमें से एक छप्पय तो कंबीर पर हिं है ' श्र ' दस:
छप्पय रामानन्द के सम्बन्ध में ,। , दोनों से कंबौर' श्र राम रा न्द हू कु
सम्बन्ध स्पष्ट होता है । श्रत: इन दोन को उद्धत करते हैं :--. ...
निलाल मन गरगकशरापयक! रकिकपएए-सपलपरपससकगमिय
३ डा० राम कुमार वमी--संत कबीर प्रस्ताबना-इ० इ
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