चन्द्र विजय | Conquest Of The Moon
लेखक :
ज्ञानचंद्र - Gyanchandra,
डब्ल्यू. वी. ब्रान - Wernher von Braun,
फ्रेड एल. व्हिपल - Fred Lawrence Whipple,
विली ले - Willy Ley
डब्ल्यू. वी. ब्रान - Wernher von Braun,
फ्रेड एल. व्हिपल - Fred Lawrence Whipple,
विली ले - Willy Ley
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22.11 MB
कुल पष्ठ :
212
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
ज्ञानचंद्र - Gyanchandra
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डब्ल्यू. वी. ब्रान - Wernher von Braun
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फ्रेड एल. व्हिपल - Fred Lawrence Whipple
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सम्बन्ध में आज ऐसी कोई समस्या नहीं हैं जिसका हमारे पास दल न हो अथवा जिसका हल प्राप्त करने का साम्य हम में नह इस दिशा में सब से पहला कदम हैं आदमी को वायुमंडल से परे अंतरिक्ष में पहुँचाना। प्राणदायक . वायुमंडल से परे जो निवोत शून्याकाश है वही अंतरिक्ष है। वही हमें शेष ज्रह्माण्ड से प्रथक् करता है। हमने अति शक्तिशाली यंत्र राकेटों से उस शून्याकाश को मेदना प्रारम्भ कर दिया है। इनमें से कई राकेट ढाई सौ मील की ऊँचाई तक पहुँच चुके हैं। ये उडइनेवाली प्रयोग-शालाएँ वस्तुतः कल के मानव-युक्त राकेट-यानों के पूरवे- रूप हैं। इन अंतरिक्ष-गामी राकेट-यानों द्वारा प्राप्त वैज्ञानिक जानकारी और फिलहाल उपलब्ध विस्तृत भौतिक-ज्ञान के आधघार पर हम यह जानते हैं कि अंतरिक्ष की यात्रा में हमें किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। आज आवश्यकता केवल इस बात की है कि हम इतने बड़े राकेट यान का निर्माण कर लें जो आदमी को वायुमंडल से . परे की . यात्रा कराने में समथे हो। हम यह जानतें हैं कि ऐसे यांन किस प्रकार बनायें जा सकते हैं। इस यान के यांत्रिक विवरण हम आज मी बता सकते हैं। यही क्यों हम इसकी मी व्यवस्था कर सकते हैं कि यान में बैठे आदमी को अंतरिक्ष के अपरिचित वातावरण से किस प्रकार सुरक्षित रखा जा सकता है। व्यावद्दारिक इृष्टि से देखें तो वायुमंडल से ऊपर का यह अंतरिक्ष प्रथ्वी के धरातल से १२० मील की ऊँचाई पर
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