सनातनधर्म दर्पण | Sanatan Dharma Darprn
श्रेणी : धार्मिक / Religious, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
181.7 MB
कुल पष्ठ :
255
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रामस्वरूप शर्मा गौड़ - Ramswaroop sharma Gaud
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्४ ... सनातनघप दूपण | सक्ता है। क्या यही धमंका छक्षण है? नहीं ऐसा नहीं है हमारे किसी शाख्कार ने भी ऐसा नहीं कहा है जहाँ तक बुद्धिको दौंड़ायो जाय उससे प्रतीत होताहै किन सत्यादि | सबका पाठन करना ठीक है परन्त इन के पाछन की रीति | को विचारना परम आवश्यक है। सत्यादि सब का पालन करना चाहिये यह ठीकहै सत्यवादी जितेन्द्रिय परोपकोरी न्यायवान् होना उचितही है परन्तु सबका समयोचित महत्व विचारे तो क्या केवछ स॒त्यवादी होने से धर्म की रक्षा दो सक्ती है ? क्या केवल परोपकारी होने से धर्म की मर्यादा रद सक्ती है ? और यदि ऐसा निश्चय होजाय की संत्यादि सबको ही पाठन आवश्यक है तो इनकी परस्पर को विषभता की मीमांसा होना अति किन है अर्थात् जो. सब समय म सत्यबोदी परोपकारी क्षमावा[न और जिते- न्द्िय दोसके वह हो धर्म का पाठन करसक्ता है । परम्त हर समय इन गुणों से युक्त दोना अत्यन्त ही कठिन है क्यों कि दा एककी मयादा की रक्षो होती है दूसरी मर्यादा नष्ट हुई जाती है एककी सददयता करने पर अन्य के मस्तक पदों घात होता है उस समय क्या करना चाहिये 7? उस समय दी कतंब्य के महत्व की विवेचनों करने की आवृश्यक्तो पड़ती है व कतब्य के घहत्व की विवेचना ही धर्म के गढ़सत्व को विचोर है हमारे श्ञा्रों में बह विपय बारस्वार आलछोडइन । किया गया है प्रत्येक चरण रखने पर मरहषि गण शाख्रों हर _ तिस अछोड़ित आज्ञा को पालन करने के लिये कहगए हैं | म प
User Reviews
No Reviews | Add Yours...