ग़दर की कहानियां | Gadar Ki Kahaniya

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Gadar Ki Kahaniya by स्वामी सत्यभक्त - Swami Satyabhakt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्२ 'गायरलेंड के सदर की कहानियां । दी जाप | यदि चड रात के समय बसे जमन स. गाने का कोदिश करता तो इस बात का डर था के कोई पड़ोसी दूख न सर! अन्त में उस ने सिवचय दिया कि सबेरे तक वन्डूक उन्हीं पेड़ों के बीच में पड़ा रहने दी जाय ओर तव जंसा ठोक माउजुम हो पडा किया जाय | हु आधी रात के समय केसोी की नींद भयंकर कोलाइदल के कारण भंग होगई | दह जददी से अपनी पतल्ून पहन क खिड्की के पास आया । वहां उसने जो कुछ देखा उससे उसके होश हवास गायव दोगये । उसने देखा कि उसके घर को खिपाहेयों ने घेर लिया है और वे हाथों में धिजली के लंस्प लेकर चारों तरफ ढू'ढ़ रहे हैं! ऋछ लोग इधर उधर गोलियां चला रहे थे और रछ मकान के दरवाजे को तोड़ रहे थे । केसी समझ गया कि वे अंग्रेजी सरकार की खूनी सेना 'ब्लेंक एराड उस ( कृष्ण घातक दल ) के आदमी टैं, जिनका काम सबं- साधारण पर बिना कारण अत्याचार करके दिद्रोहियों को डरानो है । उसे दिदवास हो गया कि इस समय ये लोग आज की दुर्घे- रना का बदला लेने आये हूं ओर मुझे ज घर मार डालेंगे । सय के कारण उसकी सोचने बिचारने की ताकत चली गई और अपने चने का कोई उपाय न कर वह पत्थर की सर्ति की - तरह ईखेड दी के पास ही खड़ा रहा । जब उसने देखा कि खिपाहियों ने पेड़ों के झुरमुर में से वन्दूफ को निकाल लियां और उसे लेकर चिल्लाते हुयें ऊपर चढ़ें आरहें हैं, तव भी वह: उस 'जगह से नहीं न क हल गिर




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