पोथी प्रेमबानी राधास्वामी [पहली जिल्द] | Pothi Prembani Radhaswami [Pahli Jild]

Pothi Prembani Radhaswami [Pahli Jild] by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हर द्याल की दया । राघास्वामी सहाय नमक दिडिएकटगरा ॥ मगलाचरणे॥ परम पृष पूरन धनी राधास्वासी नाम ॥ लिन के चरन पदस पर | कोट कोट परनाम ॥ १॥ जग जीवन को अति दुखी । देख दया उसगाय ॥ संत रूप ब्परौतार धर । जग सें प्रगठे राय ॥ र२॥ कुल मालिक दातार। रूपा सिंध गुरू रुप धर ॥ सुरत शब्द सत गाय! मेद दिया निज ऋधर घर ॥ दे॥ | बड़ भागी वे जीव 1 ड चरन सरल जिन छूढ करी ॥ : कि भ “तीर रस द्रनहिन नि का हक _ के 2 हे म्यदक लिलामायाधायमायाना ता का ,अफवयनपपपद ध्यगवकस-अमगरम कलन्यनस्कण्कारगाणाणा निनननकननननवण गेकाबीगकाट काश शा बनकर... सा.




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