सोहन - काव्य कथा - मंजरी भाग - 2 | Sohan Kvya Katha Manjari Part - 2

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दोहा -- कही पति से बात यह सुन कोपा तत्काल | कंसे फेंक दी उसने मणि को समझा मैं नहीं हाल ॥। मांगलू उनसे मैं जाई ॥४॥। भागवत चल करके श्राया मणि दो मुख से दरसाया । नदी में भेंट कर श्राया भक्त ने ऐसे फरमाया ॥। दोहा --... लोग इकट्ठे हो गये सुनकर सारा हाल । कहे दबा ली इसने मणि को करे श्रसत पंपाल ॥। सभी को रहा है भरमाई 11६।। श्रापस में करे बात ऐसी वक्त यह श्रा गई है कैसी । भक्त बन करे है ठग जैसी मणि रख करे बात ऐसी ॥। दोहा --.... भागवत भी कह रहा करो न ऐसा काम । मरि झ्रापको देनी होगी समभो हिए तमाम ।। दबेगी हरगिज यह नांही 1 ७॥। भक्त कहे डाली नदी के मांय चलो वहां तटिनी में सिल जाय । भागवत कहे मुझे बहकाय गई वह जल में कंसे पाय ॥। दोहा --.... भक्त सभी को साथ ले नदी किनारे श्राय । बहती जल की धार में वह डूबकी सद्य लगाय ॥। पहुँच गया जल के तल मांही ।।८॥। मुट्ठी भर कंकर ले श्राया कहे ये मशिये ले भाया । लोग कहे दिमाग चकराया कंकर को मणिये बतलाया ॥। दोहा - ... लोहे की मंगवाय के दीना त्वरित झ्ड़ाय । कंकर सब पारस बने कंचन लख विस्माय ॥। भक्त की जय जय सब गाई ।।€॥। श्रद्धा हो जिसके दिल मांही कमी का काम वहां नांही । मनुष्य क्या देव चरण मांही गिरे नित स्वर्गों से श्राई 11 दोहा --... संशय इसमें है नहीं सुनो लगाकर कान | जग जंजाल से निकल सज्जनो भजो सदा भगवान ।। छोड़कर तृष्णा दुःखदाई ।1१०॥। श्रवण कर कथा ध्यान दीज्यो सुकत की गठड़ी संग लीज्यो । बुराई सन से तज दीज्यो भावना उज्ज्वल कर लीज्यो ॥। दोहा --... प्राज्ञ कृपा सोहन मुनि सदा रहा चेताय । अाश्रव तज संवर में आवो जीवन सफल बनाय ॥। मिलेगी. . मुक्ति सुखदाई 11११॥। # हक 5 9




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