हिंदी काव्य में अन्योक्ति | Hindi Kavya Me Anyokti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.04 MB
कुल पष्ठ :
367
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. ससारचन्द्र - Dr. Sasarchandra
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विपप-ग्रदे श
कहू सकते हैं। बुछ ऐसे भी पासोचक हैं लो छाहित्य के कसा-पस् को सेकर
पग्दार्मी सहिठी काम्पम् पर्षातु पाप्व भौर पथ दोतों का साथ-साथ रहना
साहित्य का म्पुत्पत्ति सिमित्त कहते हैं। बसे देखा जाय तो घम्द घोर पर्स
का घषिगामाव-सम्दरण के साथ-साथ एडुदा साधारणत दोठा ही है. निस्तु
यहीँ--जैमा कि कुस्तक ने सी कहां है--साव-साव रहने से घ्रमिप्रत है मद
भौर पंप की सन्तुसित रुप में मगोहारिखी स्थिति मे कि स्यूनातिशिक्त कप में
सापारणा स्पिति 1? सभे केजल सस्द प्रभात भथवा केबल भ्र्ष प्रभात रचनाएँ
सादिप्य के प्न्तर्मत मही भा सकती । साहित्य की यह स्युत्पत्ति धरीर-पन्नीम
है; हुमत माब-पपतीय दिखाई है। कितु सपुसित शम्वा्ों स ही भधविगतर
माबोइक देतत से भाता है इसलिए दोतों स्पुत्यत्तियों में पषिक भस्तर
नहीं है ।
मंहद्रत में साहित्य एम्द काम्प के पर्पाप-रप से प्रयुक्त हुपा मिलता
है. फिस्तु धाजरत साहित्य एवं बाम्य में बुए प्रत्तर रखता जाते लगा है ।
साहित्य था पर्ष म्यापक रूप मे सेकर किसी भी
साहित्य प्रौर काप्य.. प्रवार के लिखित बाइ मय को उसके प्रहार्गत कर इसे
पररपर पर्पाय हैं किस्तु साहित्प-सम्बरधी इतना भ्यापक रष्टिकोए्य
इसे उचित सहीं जेंचगा । मानव-समाज दे: शानगप्त
विज्ञान विपपक्र ध्र्पी को साहिर्प ते बहा जाय । थास्तब में र्याय सशित
ज्पोठिप पैर पाहि तो बिज्ञात की अस्तुँ हैं । मस्तिप्श कौ उपअबड्नि से मे
प्र प्रधान हैं । साहित्य तो साबर की लरह कल्पता की आयु से उड़ लित
मनादेयों एवं भाव-तरवों थी रुबापी रस राधि है । भाष रे एप्य भ्रप्प था
पघ था पन्य जिस बिसी भी प्रकार से प्रस्टूटित शाइर जा सूजन अरती हैं
बड़ी सारिसप है । से तरह साहित्य घोर बाध्य दाता एवं ही बस्तु हैं ।
बाप्प के दो पत्त होत हैं--गसा-यपत पोर भावना । इनके बिता
बाय्य का बोएँ पस्तिगव सही । बुए दिद्रातू बसा पष पर बल दंग हैं घौर कोई
माज-पप्त बर । बास्तव से काप्य का रहस्य सममन
शाप्प बे दो पन्त के लिए उसके एन दोनों दहदूपों से मी मौति परि
बडा शोर आाब बिल हासा पावादर है । हयारे प्राचीन याचाएों में
हस बिधय वे. सम्मीर पिडचस धभौर सजग पिया है ।
शाम्त के सम्डरप से पद सर चल हुए ए पुरय सम्ददाय माने जाते हैं-थ
₹. पारा शशिती बाप्यय . घत्यूतातविरिकितंव-सतोफ्ारिच्दर्रिपतित
सदजोसित जीवित है।» के
User Reviews
No Reviews | Add Yours...