रंगों के अचूक चिकित्सा | Rango Ke Achuk Chikitsa
श्रेणी : साहित्य / Literature, स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.72 MB
कुल पष्ठ :
452
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तीसरे ओर चौथे संस्करणा के विषय में तीसरे संस्तरणु में मैंने कोई स्वास ठन्दीली नहीं की फर इस सस्करण में बहुत बारें बढ़ाई और कुख वादे चदली गई हैं । इस बूद्धि कर परिवतिन के लिए आठ सो वाले श्रपने अनुभव और पुस्तकों के झच्ययन से मिर्ली सौर कुछ वादे इलाहावाद के नेव्करो होमिये हावटर ज़जनिद्यारी दीचिठ गौर गुस्तुस्त कांगड़ी के नेचरो- पैयो ( प्राकषतिक विकित्सा शास्त्र ) के ऋ्ष्यापक श्री मयानीप्रसाद जी के परामर्श से मिली । इन सब्जनों को घन्यवाद 1 इस संस्करण को भी लिल्कुल न पुस्तक की चर पढ़िए । लेख सल्ण के फ़्साशर इन के पहन जन से पथ संस्परण के प्रस्गशुठ होने के पदले मैंने नीची छिखी (१) वष्लडिठत८०--छ8०प्तु्०0च्तीअ ० रििप्मंण्य एप्राएपा 5 5१०४ (२) घडह-स्य8 संघ ह०० (६) हघा०४-िवणाब पिपठा00टावए (४ १ छि०8घ--सण्ण 0० इं०५ 516्दफ इन ऐसे को घन्फ्वाद 1 यदद पुस्ठक बहुठ बड़ी हो सकती थी पर मैंने दो इसे पारिवारिक प्रयोग के रिटकोण से दी लिखा है। रैम्य दिरही लेखक . एप्रिन्न है ४४
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