आधुनिक हिंदी कविता में बिम्बविधान | Aadhunik Hindi Kavita Mein Bimbvidhan

Aadhunik Hindi Kavita Mein Bimbvidhan by डॉ. केदारनाथ सिंह - Dr. Kedarnath Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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समझा जा सकता हैं । न केवल रचना-प्रक्रिया को बल्कि इस के द्वारा कवि की रुचि सांस्कृतिक वातावरण और बौद्धिक रुझान को भी ठीक-ठीक समझा जा सकता है । फ्रॉएड का मनोविद्छेपणवाद और विशेषतः स्वप्नगत बिम्बों की नयी व्याख्याओं ने काव्यगत विम्ब को समझने के लिए एक नयी दृष्टि दी है। फ्रॉएड के अनुसार मन के तीन स्तर होते हू चेतन उपचेतन और अवचेतन । इस व्यावहारिक जगत में मनुष्य हर क्षण सामाजिक वर्जनाओं और सभ्यता के दबाव के नीचे साँस लेने के लिए बाध्य होता है । एक औसत सनुष्य अपनी ऊपरी चेतना को जागरूक रखते हुए बाह्य यथाथ॑ के साथ समझौता कर लेता है जब कि एक स्नायविक दृष्टि से दुर्बल और भावुक व्यक्ति उन परिस्थितियों के साथ सरलता से समझौता नहीं कर पाता । परिणाम यह होता है कि वह एकान्त क्षणों में बाह्म जगत से घबरा कर बार-बार उपचेतन और अवचेतव की गहराइयों में लौट जाता है । फ्रॉएड के अनुसार एक कवि अथवा कलाकार की रचना-प्रक्रिया भी बहुत कुछ स्नायु-दुबंल व्यक्ति की मानसिक छाया-कल्पनाओं के समान ही घटित होती हैं । अन्तर यह होता है कि एक कलाकार उन छाया-कल्पनाओं को कलात्मक रचना का रूप दे कर उन से सहज ही मुक्ति पा ढेता है जब कि स्व हद दुबल व्यक्ति के लिए उन के सुखद मोह से छुटकारा पाना लगभग असम्भव होता है । फ्रॉएड ने मानव-मन के अवचेतन स्तर को कल्पना का उद्गम-स्रोत माना है । वहीं से अन्तदृष्टि प्रातिभज्ञान प्रतीक भर बिम्ब सब की सृष्टि होती है । चेतन सन्दर्भों से कन्निता का न्यूनतम सम्बन्ध होता है । विश्व की अधिकांश श्रेष्ठ कविताएँ एक पूर्ण आात्म- विस्मृत अवस्था में लिखी गयी हूँ जब मन का चेतन स्तर सो जाता है और अवचेतन अपने सम्पूर्ण संचित स्मृतिकोश के साथ क्रियाशील रहता है । बाद में निर्मित कृति में चाहें जितनी काट-छाँट की जाये पर उस के मौलिक स्वरूप का निर्धारण उस आत्म- विस्मृत्त अवस्था में ही हो जाता है । इस प्रकार की रचनाओं में आने वाले बिम्ब-पुंजों के अध्ययन से लेखक के व्यक्तित्व के अनेक पहलुओं पर प्रकाश पड़ सकता है । श्रीमती कैरोलाइन स्पजियन ने इस दृष्टि से शेव्सपीयर के नाटकों में आनें वाछे बिम्बों का विद भध्ययन प्रस्तुत किया है. और उस के रहस्यमय व्यक्तित्व के सम्बन्ध में अनेक रोचक निष्कर्ष निकाले हैं । उन का निद्चित मत हैं कि वह अचेतन रूप से मुख्यतः अपने बिस्बों के माध्यम से ही अपने आप को व्यक्त करता है। रंगों का चुनाव दृश्यों का भाकछन पथु -पक्षो और वनस्पतियों का वर्णन--इन सभी बाह्य अभिव्यक्तियों में कवि वस्तुतः अपने भीतर के ही किसी रहस्यमय अंश को सम्प्रेषित करता है । श्रीमती स्प- जियन की स्थापना से प्रभावित हो कर इस प्रकार के अनेक प्रयास इस दिशा में किये ये हूँ । फिर भी कुछ आलोचकों ने इस आलोचनात्मक पद्धति की सीमाओं को दिखाते सा ०... नव १ रा 0ंड्रदरणड उ८ाहड गा रछुदीर-कावप्रडांड-5 घकब्पत+ रु. 5 २ &पदददडुशडयकडड बटन) -पिच्णाचट पा. छवि 5छपा600 1 वू.. आधुनिक हिन्दी कविता में बिस्बविधान




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