आर्य्य-दर्शन | Aaryya darshan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.85 MB
कुल पष्ठ :
224
श्रेणी :
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No Information available about पं राजाराम प्रोफ़ेसर - Pt. Rajaram Profesar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)म्रमाणों से परीक्षणीय विषय । ३ निर्विवाद है । पर में कया हूं? यह कोई बिरठा ही जान पाता है अतएव इस में बादियों का मतपद है । । इसी मकार मुझे अपने से मित्र यह नगद भी भासता है यह भी सवालुभव सिद्ध निर्षिवाद मत हैं। पर. जो कुछ भासता है वह क्या है और उसका तस््व क्या है यह कोई विरछा ही जान पाता है अतएव इस में भी वादियों का मत- भेद है । सारांधा यदद है कि जो इमारे साझात अनुभव की बात है उस में कोई मतमेद नहीं कोई विवाद नहीं । हरएक अपने सद्बाव को साक्षाव अलुभव भरता है और हरएक रूपादि विषयों को साप्ाठ अनुभव करता दे इस में न कोई मतभेद है न विवाद है । पर में का बस्तुतरख और रूपादि विपयों का वस्तुतत््त हरएक लौफिक पुरूप अलुभान से जानता है न कि. साक्षाव करता है इत छिए इस में मतभेद है । लिस पिषय में मतभद हे उसकी प्रमाणों से परीक्षा करनी चाहिये । परीक्षा का क्रम ही ग्रमाणों में मत्यक्ष की महिमा सब से .बढ़कर है अनुपान मत्यक्ष के बढ पर ही खड़ा होता है और बाब्द प्रत्यक्ष और अनुमान दोनों के बल पर खड़ा होता है मंत्यप्ष वा अनुमान से जाने बिना यदि कोई युरुप कुछ बताता है तो उस्रका वचन माना नहीं जाता हॉ यदि बह किसी दूसरे के बचन से कहे जिसने कि उस अर्थ . को प्रत्यक्ष वा अनुमान से जाना.हो तब इसका वह वचन गआ्राधय होता है । सो धांब्द से अनुमान और अनुमान से प्रत्यक्ष पवछ है। इसलिए सर्चाई के पाने का गम मार्ग और सीधा मार्ग यही है कि इम प्रत्यप् से परोक्ष का व्यक्त से अव्यक्त का पता ठगाएं । सो आओ हम सब से पहले व्यक्त पर दृष्टि दाएें। न सं
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