वैशेषिक दर्शन | Bashekshik Darshan

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Bashekshik Darshan by पं राजाराम प्रोफ़ेसर - Pt. Rajaram Profesar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अभ* * आ<४ शसू०३। । ...... है।गन्थ में भी गन्धपना थम है, क्योंकि वह गन्ध में प्रतीत होता हर ... है; गन्थ घी है, क्योंकि उस में गन्थपन मतीत होता है । सो. हि गा गन्थ युष्प का धम है, पर गन्धपन का घ्ि भी हे। इसी अकार . सब्र ध्र्घामिभाव जानना । जो अनेकों का सांझा धर्म हो, *.... उस को साध्म्य वा समान घर कहत हैं, जेसे गन्थ पुष्प और. ...... इतर का साधम्यसपान धर्म है । और जो अपना विपेश धर्म गा ..... हो, उस को वेधम्य वा विशेष धर्म वा विरुद्ध धर्म कहते है, : लेसे पंखडियां पुष्प का इतर से वैधम्य है, और ट्रवत्व इतर ...... का पुष्प से वेघम्य है । इस प्रकार साधम्य और वैधर्म्य द्वारा :..... जब समस्त पदार्थों का तत्त्वज्ञान हो जाता है, तब पुरुष मुक्त. ..... होताहै। इसलिए इस शास्त्र में समस्त पदार्थों और उन के धर्मों... :.. का निरुपण आरम्भ करत हैं पदार्थों का कथन इ मान भाव पदार्थों के आंमिप्राय से _ .... है, वस्तुत' अभाव भी एक अछग पदार्थ के रूप .... आभिभत हैं अतरव 'कारणा भावाद कार्याभावः * (१.




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