स्वदेश - संगीत | Swadesh - Sangeet

Swadesh - Sangeet by श्री मैथिलीशरण गुप्त - Maithilisharan Gupt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ऊधा हरे बहुत दिन तक सहा अन्घकार का नार ) अब कब होगा देश में ऊवासय अवतार ? ऐसी दया करो हे देव भारत में फिर ऊषा आधे ॥। अब यह सिटे अविद्या-रात रुज-रजनीचर करे न घात ट्रसे चारों ओर प्रसात तम का पता न रहने पाने ऐसी दया करो हे देव मारत से फिर ऊपा आदे ॥ प्ले अहा । अरुण अनुराग चमके फिर प्राची का सांग जागे सब झालस को त्याग जड़ता की निद्रा सिट जाने । ऐसी दया करो हे देव भारत से फिर ऊपा वे |) गावें दविज नेता वह गान--- जिससे हो जावे उत्थान यूँ जे ्यात्मतत्व की तान




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