मन की अपार शक्ति | Man Ki Apar Shakti
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
0.55 MB
कुल पष्ठ :
74
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मन की रचनात्मक शक्ति [है
रने का श्रर्य है नई नई बातें उत्पन्न करना । कइने का तात्र्य्य॑
दहहै कि जीवन मर इम नई-नई बाते उत्पन्न करते रदे. श्रौर हमें
लिम तक न हुश्रा। इमारी धारणा थी कि नवीम-नवीन
गैलिक बाते पैदा करने की शक्ति, जो एक ईश्वरीय देन है, चढी
(लम श्रौर श्वसाधारण वस्तु दे श्र सम्मव है किसी समय
हटिन परिधम के बाद व दमें उसी तरह मिल जाय, जैसे कोई
स्व बाइर से मिल जाया करती है । कितनी विचित्र धीर
श्राइचर्यज्नक बात है कि डिस शक्ति की इस इतने शमय से
स्लोज कर रे थे वदद हर रुमय इमारे भीतर ही मौजूद थी । हमें
कया मालूम कि वह शक्ति मन भी एसाप्रतां से में मिल सकती
थी श्वौर शके उचित प्रयोग से इमारां कलूपाण हो सकता था 1
बह नदी के नल की तरइ उधर हो नष्ट अप्ट शो रदी थी श्र
इधर हमारा जीवन यों ही हिना शोचे-समके थीत शहद था दौर
इमारे दिन बेकार जा रहे थे 1
इसके श्रतिरिक्त मेरा यह विश्वास हे कि इमारी यह शक्ति
सदुपयोग में न श्राकर श्नजाने दुख पैदा करने में भी लगी ।
' हमने रमक रस्खा है कि दुख, सुख, शनि, लाम धौर बोमारी
चित्त इमारे माग्य में पहिले से ही निर्दिष्ट हें, जिनका सोगना
इमारे लिए श्निवार्यं हे । अपने इसी दिश्वास फे बारण इसने
इन बातों पर धपने सन को लगाया श्ौर दुख, सुख झयादि पैदा
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