पृथ्वीराज रासो खंड - २ | Prithviraj Raso Vol. - Ii

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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«( ह७ रखते हैं सो चलिए ! - रैश शहाबुईीन श्रादि. पृथ्वीरान के प्रचेड का सामना है इसलिये सदा: यता में झापकों चलना चाहिए * ही १६ रावल समरसिंद का सना श्रादि सजः कर' चलना; सेना क्री तय्यारी का वीन. 1... - १७ परामर्ण करके रावल समरसिंह पृष्वीं- राज के पास नागौर को चले |: र८ धर्मायन कायस्थ ने यह समाचार चुप चाप दूत भेज कर झाहाबुद्दीन को दिया कि दिल्लीश श्ौर- चित्तौरपति. धन निकालने नागौर आए हैं: न १६ समर का दिल्‍ली के पाप्त पहुंचना और दूत का पृथ्वीराज. को समाचार देना।' * दी २० ऐएथ्वीराज का. आ्राध कोस गे बढ़ कर अगवानी करना | ही ९१ सपरप्तिद का झनेगपाल” के घर में डेरा देता, दो दिन रह कर सब प्ाम- न्तों को इकट्ठा करके सलाह पूछना कि 'छत्र: घत निकालने का क्या उपाय करना चाहिए | २२ कैसान. ने. कद्दा कि मरी सम्मति है कि ... शहाबुद्दीन के: झानि. के. रास्ते पर दिख पति रोके; श्रौर मीमदेव 'चालुक्य का. मुदाना रात्रल समर सिंद रोडें.जर तब: धन निक़ाल लिया जाय |... मा र३ रावल समर सिंद.का.इस मत को, पसन्द करना श्रौर मत्त्री की प्रशंसा करना »- !' :. रे नागौर के पाप्.सब का पहुँचता. सुलतानः के रुख पर पृश्वीराज, का अइना, शाह, के चरों का पता. लेना | - २५ दो दो कोस पर पृथ्वीराज और समर- सिंदद का,डेरा देना | जि २६ दूत का शाइ को समाचार देना कि. , . ध्ड्प् * ३८ दोना |. ४२ पृथ्वीराज की लेना की शोभा का बर्यान नागौर में घन निकालने के लिये दिल्लौ- पाति श्रागए | २७ नागौर के समाचार पा कर सुल्तान का उमरा खां के साथ डट्का निशान के सहित पृथ्वीसज पर चढ़ाई करना। रप शाद का चक्नव्यूद्द रंचना करके चलना, सेना की: सनावट का वर्सन | २६ पृथ्वीरान को वांई श्रोर से बचाता सुलतान घूम धाम से चला; शपनाग को बँपाता पृथ्वी को पैंसाता रात दिन चल कर नागौर से आर कोस पर जा. पहुँचा | न ३० पहें. समाचार सुन समरतिंह्द का धन. पर मन्त्री कैमास को रख कर शाप सुलतात पर क्रोध के साथ चढ़ाई करना ३१ नैते. समुद्र मैं कमल फूले हों इस प्रकार से सु्नतान की सेना ने डेरा दिया । ६६१ ३९ संरेरे उठते ही समरसिंदद आगे सुलतान के, दल की. श्रोर बढ़ा उस की सेना के चलने से धूल उइने लगी 1 ही ३३ धूल उड़ने से सब दिशा ्रूघरी हो गई दोनों दलों का हथियार सन सज कर लडइने के लिये तप्यार हो जाना ३४ लड़ाई का आरम्भ होना | रन ३५ युद्ध का वर्णन | द्ध्र श९ रावल सूमरापिंद के. पुंदद, का वर्यान ।. ध््प द्द्ह््9 .. ३७ पुथ्वीराज, की विनय, शहावुद्दीम, की द्ध्दं ७ ३६: सत होना ।सेना का डेरें में झाना । सेना का भागना. * : ४० 'चामंडराय श्रादि सर्दारों का. रात. भर जाग कर 'चौकसी करना । ४१ शहाबुद्दीन के सरदारों का रात को चौंकी. देना । हट ३ शहाबुद्दीन को सेना का वर्णन |:




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