पृथ्वीराज रासो भाग - ५ | Prithviraj Raso Bhag - 5

Prithviraj Raso Bhag - 5  by चंद बरदाई - Chand Bardai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लि लि कि कक कक के _दनठवां समय १४५ 3 पृथ्वीराजरासों 1 १६७५ कुच अगर कच्च ट्रिय मद्ि तिल । स्वामा अ*ग सच गवल ॥ पोडस सिंगार सार्व सजि । सांइ रज संजोंगि तन ॥छ ०॥१०१॥ सरग का सम्पुण झुगार साइत सयागता के नख ाख का वणन करना । पटरी ॥ स जोग जोग जय संत त॑ठ । आनंद गान जिन करिय कं ॥ ' बर रचिय केस विधि सुमन पति । विच धरे जमन जल ग'ंग कति॥ रंग ॥ १०६ ॥ सिर मट्चि सौस फलद सुभास । किय जमन अड्ट सुर गिरि प्रकास॥ कु'डलौ संडि वंदन सु चंद । कसतर ढिगद्द घनसार विद ॥ छं०॥ १०७॥ . वर किरन भोम परसत प्रकार । मनों ग्रसित राह ससि सचित तार॥ ओपमा भूअ वेनौ विसाल । लागिनी असित ससि सहत वाल ॥ छं० ॥ १०८ ॥ ्ओपसा भाव उच्चरि विटूप । सलु' ससी राह सित पप मऊप ॥ सेसव्ब मद्धि जोवन प्रवेस । देपिये नैन मग अति सुदेस ॥ छ०॥ १०८ ॥ ओपम स्‌ कव्वि बरदाय कौय। घ्यों ग्रह उच दिसि जल लिदीय। ! सित असित सोभ द्रिग वर विसाल । कै ससिज प्रगटि तम मद्धि वाल॥ छं० ॥ २१० ॥ उपग्म चंद नासिक विसाल । मनों अरे लरन रवि राह वाल ॥ च्योपन्स अधर कवि कहि विद,ध्य । उग्गरे अद् ससि चथि सऊप ॥ छं० ॥ १६९ ॥ सोभ' सुरंग द'तनि सु पति । कदलौन केत कै सत्ति कति ॥ .. कै तरु सु बिव लंवौ सुरंग । ससि भूम गंग जल सिंचि अनंग ॥ । छग॥ ११२९ ॥ मधु मधुर बानि कलयंठ रद्द । आन ग अनेव केवल सु सद ॥ तारक्ष तेज नग जटि सुरंग । ओपस्म चंद तिन कह सु अ'ग ॥ छग॥ ११३॥ नल - ७.




User Reviews

  • Vijayant

    at 2019-11-21 08:26:59
    Rated : 8 out of 10 stars.
    Chand bardai के बारे में यहा लिखी गई कुछ बातेँ बेहद झूठी है.
  • Vijayant

    at 2019-11-21 08:25:57
    Rated : 8 out of 10 stars.
    यह पुस्तक मैं आज के इस लेखक ने कई जगह अपनी बात रक्खी है जो झूठ है. और chand bardai एक Barot थे
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