बाल धर्म्म शिक्षक | Bal dhrmma shikshak

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Bal dhrmma shikshak by पंडित काशीनाथ - Pandit Kashinath

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१ उत्तर--हिन्दू जाति की इस समथ बड़ी दुरदेशा है । सिलकर छतम करने की शक्ति का तो इन मं ्रभाव सा है । एक चर्ण दूसरे वर्ण से टेप करता है । छोटी छोटी विरादर्यिं तो इतनी चढ़ गई हैं कि उन का शिनना चुत कठिन हे । प्रश्त-हिन्टुों के वर्स कोन से हैं ? उत्तर--ब्राह्मण चत्री बेश्य और शूद्र । प्रद्स-एकिन लोगो का छादर होना चाहिए ? उत्तर-शुणो कर्मों चिद्या और योः्यता के झनुसार मनुष्यों को समाज में स्थान सिखना चाहिए । जिस में सच्चाई शल परोपकार नमूता न्याय विद्या झादि हे चह चाहे जि या देश में पेदा छुझा हो माननीय है । जिस में ये गण हीं किन्ठु वहुत से श्रवगण हैं चद् चाहे घाहण या राजकुल का ही क्यो न हो हमारी प्रतिप्ठा का पान्न न होना । पात की प्रथा केसे चली ? .उत्तर-देशान्तर गमन जीविका कमाने के श्खंख्य उपाय स्वार्थ सूर्खता छौर झसिमान-ही इस के मुख्य कारण हैं । पुराने ज़माने में यहां के निवासी




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