कौटिल्य अर्थशास्त्र | Arthasastra Of Kautilya And The Canakya Sutra
श्रेणी : कानून / Law, भारत / India
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
30.19 MB
कुल पष्ठ :
906
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १३ )
अनुकरण द्वारा धन और आनंद की उपलब्धि हो सकती है” ( डांगे पृ०
दप-९२ ) ।
उत्पति और श्रम का विभाजन : यद्यपि आदिम साम्यसंघ की उत्पादन-
शक्तियों में विकास हो रहा था; फिर भी श्रम की मात्रा बढ़ जाने पर भी
जीवन में दरिद्रता बढ़ रही थी । सत्र श्रम के द्वारा जो श्रम-विभाजन की
व्यवस्था थी भी उसके द्वारा ऐसी आशा नहीं थी कि जीवन में एक ऐसी
स्थिति आ सकेगी, जिससे स्थायी रूप से आर्थिक हित का विकास हो सकेगा ।
यद्यपि इन उत्पादन के आर भिक साधनों में विकास नहीं हो पाया था; तथापि
सारे उत्पादन पर उत्पादकों का ही नियंत्रण था । उत्पादन के इन अविकसित
साधनों के कारण आदिम साम्यसंघ ( कम्युन ) में श्रम-विभाजन की रीति का
अभाव रहा । इसका एक बहुत बड़ा कारण यह भी था कि तब तक समाज में
न तो वर्ण-भेद की विधायें पैदा हुई थीं और समाज का आकार बहुत छोटा
था । पूरे साम्यसंघ का निर्माण विशों ( बस्ती के निवासी ) द्वारा होता था ।
आदिम साम्यसंघ में विभिन्न वर्णों की उत्पत्ति और श्रम-विभाजन की
प्रणाली का उदय धीरे-धीरे हुआ । सत्र यज्ञों के युग में हम. इतना अन्तर
अवश्य पाते हैं कि जहाँ पुरुषों का कार्य शिकार करना, युद्ध करना, पशु- पालन
था वहाँ नारी घर का प्रबन्ध करती थीं, भोजन बनाती थीं, पशुओं को पालती
थीं और बस्ती की निकटतम भूमि में अन्न उपजाती थीं । किन्तु ये इतने
अस्पष्ट प्रमाण हैं कि इनके द्वारा ठीक तरह से श्रम-विभाजन की वास्तविक
रूपरेखा नहीं समझी जा सकती है ।
वस्तुत: यज्ञ के अनुयायी आयाँ का प्राचीन समाज एक गण-संघटन था ।
उस संघटन के सभी सदस्य कुटुम्ब से एवं रक्त से संबंधित थे और उसको
स्वयंचालित सशस्त्र संघटन कहा जा सकता है । इस प्रकार के प्राचीनतम दस
गण थे, जिनके नाम हैं : यदु, तुवश, दुह्म, अणु, पुरु, अंग, बंग, कलिंग, पुंद्र
और सुह्मा ।
विवाह सम्बन्ध : आर्य-समूहों के संघटन का एक ठोस आधार गोत्र दाब्द
से प्रकट होता है । हिन्दुओं की विवाह-संबंधी व्यवस्था के लिए सगोत्र-असगोत्र
को दृष्टि में रखना आवश्यक होता है। अपनी आदिम अवस्था में आये लोग
अपने गोत्र के अंतर्गत ही विवाह करते थे; किन्तु बाद में, जब कि वे जनसंख्या
में बढ़कर अलग-अलग क्षेत्रों में फैल चुके थे और उनका आधिक स्तर तथा
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