प्रेम पत्र | Prema Patra

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Prema Patra by देवकीनंदन - Devkinandan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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४. अनुकूल परिस्थिति में उत्पन्न हुआ है तो उसका उचित उपयोग करना चाहिए श्रौर यदि प्रतिकूल परिस्थति में हुआ है तो उससे निरुत्साहित नहीं होना चाहिए | हसमें सन्देह नहीं कि को श्रपने जीवन को महान श्र उच्च बनाना चाहिए परन्तु महानता केवल श्रधिक सत्ता या धन प्राप्त करने में नहीं हैं । क्या हम केवल प्रसिद्ध सेनापति अलतेन्द्र और नेपोलियन या धनकुवेर फोडं श्र बिड़ला को ही सफल कह सकते हैं ? को नहीं जो इतनी शक्ति या घन संग्रह करने में झ्रसमथ रहे । नहीं शक्ति श्रौर धन सग्रद ही जीवन की महानता के मापदण्ड नहीं हैं । श्रनेक ऐसे महान पुरुप हुए हैं जिन्होंने शक्ति या धन संग्रह नहीं किया उन्हें जीवन की जटिल परिस्थितियों में संघष॑ करना पड़ा परन्तु वे मानवता श्रौर संसार के लिए. इतना श्रमूल्य ज्ञान श्रौर श्राविष्कारों की सम्पचि छोड़ गए हैं जिससे उनके जीवन की महानता विश्व के इतिहास में श्रमर होकर चमकती रहेगी । प्रूव जैसी श्रटल श्रौर स्थिर । इसलिए जब तुम श्रपना लक्ष्य निर्धारित करो तो यह आवश्यक नही है कि ठुम बहुत अधिक शक्ति संग्रह था सम्पत्ति की बात ही सोचो । तुम एक धनी या राजनीतिज्ञ न होकर भी महान बन सकते हो । दीनबन्धु एन्ड्रज धनी नहीं थे न किसी राजनीतिक दल के नेता परन्तु फिर भी उनकी मद्दानता किसी प्रधान मन्त्री या घनी से कम नहीं । राज कल के प्रचार और प्रकाशन के युग में घन श्रौर शक्ति मददानता का ढडिंढोरा पीट सकती है श्रौर उच्चता का सेहग्र- पहना सकती है । परन्तु यह क्रम श्रधिक नहीं चल सकता दान तो वही रहेंगे जो मानवता अर ससार के लिए. वस्तुतः कोई उपयोगी कार्य करेंगे ।




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