गांधीवाद की शव - परीक्षा | Gandhivad Ki Shav - Pariksha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गांघधीवाद | १६ में सुव्यवस्था सुख और शान्ति का उपाय भी केवल श्रपने ही सिद्धान्तों में उन्दे दिखाई देता है | मद्दात्मा गाघी के विचार मे या कहिये गाधीवाद के शझनुसार संसार गख़ास कर संसार का वह भाग जो पश्चिमी सभ्यता का उपयोग कर भोतिक समृद्धि की राह पर चल रहा है अवनति और नाश के गढे में गिर रहा है । गाधीवाद की दृष्टि में भारतवर्ष के दुख सक्रट श्रौर पराघीनता का कारण भी यही सभ्यता है। भारत को गुलाम बना रखनेवाली शक्ति को तो पश्चिमी सभ्यता ने पेंदा किया ही है इसके इलावा पश्चिम की सम्यता स्वयं भारतवर्ष मे प्रवेश कर इस देश को नष्ट कर रही है । यह सम्यता सत्य ग्रहिंसा सेवा और धर्म के विपरीत है इसलिये सवनाशकारी है । गावीवाद का उद्देश्य है भारत को पश्चिमी सभ्यता के पंजे से छुडाकर सत्य श्र्हिंस और धर्म के मार्ग पर ले जाना श्र इस देश में राम-राज्य क़ायम कर सुख तथा शान्ति की व्यवस्था करना । सत्य श्रहिंसा आर धर्म द्वारा मनुष्य समाज मे सुख शान्ति और न्याय की स्थापना होनी चाहिये इस विषय में तो सभी वाद सिद्धान्त श्र कार्य-क्रम सहमत है । सत्य श्र्टिसा और न्याय क्या है श्र किस कार्य-क्रम से उसे प्राप्त किया जा सकता हे इसी विषय में मतभेद हो जाता दै । पश्चिमी सम्यता या भोतिकवाद ( 8185 ) को गाधीवाद मनुष्य समाज के लिये हानिकारक समझता है । श्रपने विश्वास के अनुसार वह भी सत्य अर्टिसा थ्ोर न्याय की स्थापना करने का यत्न करता है। मेद दोनों की विचारधारा में है। सोतिकवाद सासारिक परिस्थितियों के विचार से मनुष्य समाज के सासाशिकि कल्याण को उद्देश्य समकता है । गाधीवाद मनुष्य के कल्याण के लिये सासारिक उन्नति को गोण और आध्यात्मिक उन्नति को सुख्य समकता है। गाधी- वाद की दृष्टि मे सत्य भ्रहिसा श्रोर न्याय का श्राघार आा व्याह्मिक-ज्ञान और प्रेरणा है और मनुष्य जीवन का उद्देश्य सासारिकता से मुक्ति




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