वैज्ञानिक कहानियाँ | Vaigyanik Kahaniyan

Vaigyanik Kahaniyan by महात्मा टालस्टाय - Mahatma Tolstoyहनुमान प्रसाद गोयल - Hanuman Prasad Goyal

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महात्मा टालस्टाय - Mahatma Tolstoy

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हनुमान प्रसाद गोयल - Hanuman Prasad Goyal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १४५ ) आरम्भ मे उस तहखाने की हुवा बिल्कुल अच्छी थी किन्तु जब कैदियों ने साँस ले लेकर सच अच्छी हुवा चुका डाली और ताज़ी हवा कहीं से आ न सकी तो चहद दवा कुएं बाली हवा के ही समान दूषित होगई और वे लोग सर गये | जब बहुत से मनुष्य इकट्ठे होते है तो अच्छी हवा बुरी क्यों होजाती है? क्योंकि जब लोग सॉस लेते है तो वे अच्छी हवा पी जाते है और जब सॉस छोड़ते है तो चुरी हवा बाहर निकालते है । गलवेनी लिंजला किसी समय से गलवेनी नासकंएक इटली का विद्ानूथा. उसके पास बिजली की एक मशीन थी आऔर वह अपने चिंशा- थियों को दिखलाया करता था कि बिजली क्या चीज है। वह कॉच को किसी चीज़ से लहेस देता था श्ौर फिर उसे रेशम के साथ जोर से रगड़ता था । एक पीतल का लट्ट भी इसी कॉँच के साथ लगा रहता था । बस ज्योंहीं इस लोटू को वह कॉँच के सामने ले आता कि काँच मे से तुरन्त चिनगारियों निकल पढ़तीं श्रौर उड़-उडकर उसी पीतल चाले लट्टू पर गिरने लगतीं । उसने बतलाया कि इस प्रकार की चिर्गारी मोदर करने की लाख से भी उत्पन्न होती है। उसने यह भी दिखलाया कि बिजली के द्वारा पर तथा कागज के नन्हें नन्‍्हें कड़े कभी पास खिंच आते हैं और कभी दूर भाग जाते है और इसका कारण भी उसने उन लोगो को समा दिया । इस




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