जीवन - यज्ञ | Jivan Yagya

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Jivan Yagya by रामनाथ सुमन - Shree Ramnath 'suman'

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जीवन का लदय ह् समाया हुआ दे-जैने दूध में घी छिपा दोता दे । मनुष्य का थम कत्तंव्य यह है कि वह ्पने नियुक्त कत्त॑न्य को पने जीवन के रहस्य को श्यपने निजी लक्ष्य को स्पष्ट कर ले । जीवन-समास में विजय पाने के लिए श्सफलता शोक दुख सुस्ती निराशा दूर कर प्रकाश के सार्ग में चलने के लिए सच से पढली झ्रावश्यकता इसी वात की है कि श्रपने जीवन के प्रच्छन्न तात्पर्य लक्ष्य या गन्तव्य स्थल का निश्चय कर लो । छोर तव झानन्द की साधना में जीवन के विदिष्ट लच््य की पूर्ति मे लग जाओ । व सनी नाग




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