संतति - शास्त्र | Santati - Shastra
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8.71 MB
कुल पष्ठ :
302
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ७)
लिये क्षत्रिय राजाश्योंकी लड़ाईका दाल मनन किया था । ये
सब प्रमाण इस वातके साक्षी हैं कि मनचाही सन्तान उत्पन्न
करना माता पिताके दार्थोमें है । साताका गर्भस्थान एक तरह-
की विचित्र रसशाला है, उस रसशालासे झनेक विचार, श्नेक
स्वभाव, नेक बुद्धि श्रौर अनेक झाकृतिके चालक उत्पन्न
होते हैं । सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस रसशालामें
बाहर, झाचरण, व्यवहार श्र जैसी इच्छाका मेल किया
जायगा उससे चेसी दही सन्तान उत्पन्न होगी । जिस प्रकार
कुम्हार झनेक यल् और अनेक बिचारोंसे छोटे, बड़े, लम्बे,
चोड़े, भारी और हलके पात्र एक ही मिट्टीसे चना लेता है,
इसी प्रकार इच्छाजुसार झनेक प्रकारकी सन्तान उत्पन्न करना
माता पिताके दाथोमे है 1
राम रृप्ण, युधिष्टिर शौर भोज ऐसे सत्यन्रत रावण,
कंस, जरासन्घ श्र हिरण्य कश्यप ऐसे ढुप्टोने भारत साता-
श्रौके ही कुश्तिंसे जन्म लिया था, पर इनमें इतना अन्तर
क्या छुआ ? पुराणोके देखनेसे पता चलता है. कि इनके माता-
पिताके रजवीय्यमं विचारों श्रोर पोषण-तत्वीमे चडुत्त बड़ा
ब्यन्तर था । इसी कारण राम, रृप्ण, युधिष्टिर श्र भोज
सरीखी धर्मात्मा तथा, रावण, कंस, जरासन्ध श्रौर हिरणय-
कश्यप सरीखी श्रधर्मी सन्तान उत्पन्न हुई ।
इन वात्तोपर विचार करते हुए कलेजा सुँदको श्ाता है ।
ख्रियोकी होन दशापर ध्यान देते , हुए शरीर कंपायमान होता
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