तीन पीढ़ी | Teen Peedhi

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Teen Peedhi by मक्सिम गोर्की - maxim gorkiविजय चौहान - Vijay Chauhanशिवदान सिंह चौहान - Shivdan Singh Chauhan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(९ ११ और सब लोग देखते कि तीसरी वाली निकिता की परछाई पानी पर हिलर्ती और कॉरपती हुई चलती थी । वह दूसरे भाइयों की लम्बी परछाइयोंँ से ज़्यादा भारी-भरकम दिखाई देती थी । ज़ोर की बारिश के बाद एक दिन जब नदी का पानी चढ़ा डुआ था कुबड़े का पाँव कहीं फंस गया या किसी गड्ढे में फिसल गया ओर वह डूब गया । किनारे पर खड़े सभी लोग खुशी से ठह्दाका मारकर हँसते रहे । सिफ शराबी घड़ी-साज़ की तेरह साल की लड़की ओलगा श्रोरलोवा करुणा से चीख उठी-- हाय-हाय वह डूब जायगा / उसे खूब डॉट-डपटकर कह दिया गया-- बे-बात चीख़ा मत कर 1 व्यलेक्सी ने जो .सबसे पीछे चल रहा था डुबकी ठगाई और भाई को पकड़कर फिर से खड़ा कर दिया । सर से पाँव तक गीले और काली मिट्टी से छथ-पथ वे दोनों जब किनारे पर निकल आये तो अलेक्सी सीधा बस्ती के लोगों की शोर बढ़ा । उन्होंने उसके लिए रास्ता छोड़ दिया और उनमें से एक ने डरते- डरते कहा-- आह छुटका जानवर 1 हम लोग इन्हें नहीं भाते प्योत्र ने कहा | उसके बाप ने चलते-चलते उसकी ओर मुड़कर देखा भौर बोला-- थोड़ा वक्त मिल जाय ये लोग हमें चाहने लगेंगे । उसने निकिता को डॉटडा-- सुन बे उल्लू आँखें खोलकर चला कर श्र अपने को सबके हूँसने की चीज़ न बनाया कर । हम लोग भाड़ नहीं हैं बुदद | अतांमोनोव का परिवार अपने ही आप में सिमटा रहता । किसी से जान- पहिचान बढ़ाने की कोशिश न करता । उनके घर का प्रबन्ध काले वेश में रहनेवाढी एक मोटी बूढ़ी औरत करती थी । बह अपने सिर के चारों ओर एक काला रूमाल इस तरह बाँधती कि उसके कोने सींगों की तरह ऊपर को उठ जाते । वह बहुत कम बोलती और ऐसे अजब ढंग से भींचकर शब्द बोठती कि कोई उसकी बात समभ ही न पाता सानो वह रूसी नहीं थी । द्तामोनोव परिवार के




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