श्री भक्ति रस विन्दु : | Sri Bhakti Ras Vindu :
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8.63 MB
कुल पष्ठ :
110
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about दुर्गाप्रसादात्माज सीताराम - Durgaprasadatmaj Seetaram
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१७१ लि मर सदगुरु ॥ ८ ॥ शड़ा तट पर दयावान इक परमहंस यति प्यारे हैं । वजित चिन्ता रहित वासना जग कश्मल ते न्यारे हैं| शान्त करुण है दृष्टि उन्हों की परम पण उनका मुख है । सदा त्रह्मविद्या में रति है उसमें यतिवर का सख है ॥२। सब समान धनी निधन में आदर उनका रहता है । सत् की उज्वल प्रतिमा हैं यह दर्शन उनका कहता है॥३॥। संतोष प्रिंता माता है शम झरू भगनी प्रज्ञा है उनकी । प्रिय पत्नी है क्षमां सहन यदद दशा पतित्र शुभजीवनकी।। ४ यद्यपि बुद्धिमान अरु प्रणिडित ज्ञान धर्म की शिक्षा में । तद्यपि जीवन सहज उन्हों का द्वार द्वार रति मिक्षा में॥४॥| घन की तु्षां विहीन वह स्वामी दूर नाम की प्यासा से । रोग हीन अरु सुखी देह है दुखी नहीं यश आशा से।।६॥। बड़े बड़े समाट शासना भीति युक्त जन मन करते ) वह प्रिय शब्द निष्कपट कहकर दशेकका तन मन हरते॥ ७ सब मनज उनके बालक हैं सारा जग उनही का है| अहडर झरु इच्छाओं से रहित राज्य उनही का है ॥ ८1) दिव्य दृष्टि से पूर्ण उन्हें निज स्वरूप आत्मा है साक्षादू। जीवन क्षण सुख युक्त बिताते निज महिमा लीलामें तात)।&
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