आदर्श भाषण - कला | Aadarsh Bhashan Kala

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भाषण और वक्ता ६ के साथ | वक्ता को शब्द-चयन मैं दो बातों की श्रोर विशेष रूप से ध्यान देकर उनका प्रयोग करना चाहिए --एक तो किसी भी शब्द का प्रयोग करने से पृ उसका सही अथ उसे ज्ञात होना चाहिए श्रौर दूसरे उस शब्द का ठीक-ठीक उच्चारण उसे श्राना चाहिए । गलत श्रथ में शब्द प्रयोग करने से तो झ्रथ का श्रनथ हो ही जाता दे परन्तु उच्चारण की श्रशुद्धता भी श्रोताश्रों के कानों में बहुत खटकती है । शब्दों के गलत प्रयोग श्र उच्चारण की अशुद्धता का श्रोताओं पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है और इसी के श्राघार पर बह कमी-कभी वक्ता की योग्यता का मूल्याड्ुन कर बेटते हैं | गलत शब्द के प्रयोग से कभी-कभी ऐसा प्रतीत होता है कि वक्ता जो कुछ कह रहा हे वह सब मूखंतापूण है परन्तु यदि केवल उस शब्द के प्रयोग मात्र की भूल को सुधार टिया जाय तो पता चलता हैं कि वदद कुछ पते की बात कह रही था। इस प्रकार वक्ता की महत्व पूर्ण बात भी कभी-कभी उसके गलत शब्द प्रयोग से मूखंता- पूरा बन जाती है । शब्दों के इस गलत प्रयोग से बचने के लिए वक्ता को चाहिए कि वह अपने नपे-तुले शरीर जाने-पहचानें तथा परखे हुए शब्दों का ही प्रयोग करे केवल पांडित्य-प्रदर्शन की ठरक में श्राकर निराधार श्रौर व्यर्थ शब्दों की भड़ी लगाता न चला जाय। भाषण फटकारते समय शब्दों का प्रयोग उसे सोच-समभ कर संयत रूप से करने की आवश्यकता हैं । वक्ता को चाहिए कि वह अपने भाषण में जिन शब्दों का प्रयोग करे उनके सही प्रयोग उच्चारण दौर अथ तथा विभिग्न रथ और प्रयोगों से परिचित हो | अन्यथा कहीं पर भी ऐसी झूल होने की सम्भावना बनी रहेगी कि जिसके कारण वक्ता का विषय श्औौर उसकी पि्वार-धारा हो खतरे मैं पड़ जाय श्रौर उसका मंतव्य उसके श्रोताओं तक सही माने मैं न पहुँच सके । एक सफल वक्ता बनने के लिए यह श्रावश्यक है कि शब्द- चयन का कार्य बहुत ही सावधानी श्रौर उत्तरदायित्व के साथ किया जाय क्योंकि शब्दों के ही ऊपर वास्तव मैं भाषण के दाँचे को खड़ा होना होता है श्र यदि वक्ता का यही टाँचा मजबूत श्रौर स्थायी न बन सका तों भाषण में बल नहीं श्रा- सकता श्रौर वक्ता को उसके लक्ष॒ की प्राप्ति झतम्भव हो जाती है । वक्ता को चाहिए. कि वह एक नोटबुक में अपने विशेष रूप प्रयोग में आने वाले शब्दों को लिख डाले श्रोर प्रति सप्ताह उनको संख्या में त्रावश्यकता या प्रयोग के अनुसार उद्धि करता चला जाय । इस दिशा मैं सफलता की यही एक कुजी है | इस प्रकार हमने देखा कि एक सफल वक्ता बननें के लिए उसकी प्रधान श्रावश्यकताएँ हैं उसका मजबूत इरादा मापणु देने का श्रनथक द्म्यास निष्क- पटता विषय का ज्ञान श्ौर शब्दों का सही चयन तथा उनका प्रयोग । इन सभी दिशाओं में जागरूक रहकर वक्तव्य-क्षेत्र में अ्रग्रसर होने वाला वक्ता अवश्य एक




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