चेखव की श्रेष्ठ कहानियां भाग - २ | Chekhav Ki Shreshth Kahania Part 2

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Chekhav Ki Shreshth Kahania Part 2 by आंतोन चेखव - Aanton Chekhav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१६ चेखव की श्रेष्ठ कहानियाँ (२) लुबकोव को पिकनिकें झातिशवाजी भर शिकार का लौरफ था । वह हफ्ते में तीन बार पिकनिकों का श्रायोजन किया करता था श्र एरियादने बिना इस बात को पुछे कि मेरे पास पेसे हैं या नहीं मुझे केकड़ों दोम्पेन श्रौर सिठाइयों की एक पूरी लिस्ट बनाकर पकड़ा देती कि मैं जाकर मास्कों से ले झ्राऊ उन पिकनिकों में दराब ढलती श्रौर ठहाके लगते श्रौर फिर वहीं सजाकिया बातें शुरू हो जातीं कि उसकी बीवी कितने साल की हैं उसकी माँ के पास कंसा मोटा गोदी में खिलाने वाला कुत्ता हैं प्रौर उसके साहुकार कंसे मजेदार ्रादमी हैं लुबकोव प्रकृति-प्रेमी था परन्तु वह उसे एक ऐसी चीज मानता था जो बहुत दिनों से परिचित हो श्रौर साथ ही उससे बहुत नीची हो और उसके मनोरंजन के लिये बनाई गई हो । वह कभी किसी श्रत्यन्त सुन्दर प्राकृतिक हृदय को देखकर स्थिर खड़ा हो जाता श्रौर कहता यहाँ चाय पीने में ब्रानन्द श्राएगा । एक दिन एरियादने को दूर छाता लगाए जाते हुए देखकर उसने उस- की तरफ इदारा करते हुए कहा बहू पतली है इसलिए मुझे वड़ी भ्रच्छी लगती है मुक्ते मोटी श्रौरतें पसन्द नहीं हैं । इस बात ने मुते चौंका दिया । मैंने उससे आपने सामने स्त्रियों के विषय में इस तरह की बातें करने के लिए मना किया । उसने ताज्जुव से मे री तरफ देखा श्रौर बोला इस बात में क्या बुराई है कि मैं पतली श्रौरतों को पसन्द करता हूँ प्रौर मोटी श्रौरतों की तरफ ध्यान नहीं देता ? मैंने जवाब नहीं दिया । बाद में उमड़ में भरकर श्रौर कछ मस्त होकर उसने कहा मैंने गौर किया है कि एरियादने प्रिगोरीएब्ना तुमको चाहती है । मेरी समक में नहीं श्राता कि तुम उस पर विजय पाने की कोदिश क्यों नहीं करते ।




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