कबीर - ग्रंथावली का शैली वैज्ञानिक अध्ययन | Kabir Garanthawali Ka Saili Vaigyanik Adhayan

Kabir Garanthawali Ka Saili Vaigyanik Adhayan by रामविजय सिंह यादव - Ramvijay Singh Yadav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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व युग व्यक्तित्व पर्व शैली एक दूसरे के सापेक्ष्य है । सी भी साहित्यफार की रवना की देखकर उरके युग एवं व्यक्तित्व का सहज आकलन या जा सकता हे । युग एवं व्यक्तित्व परस्पर प्रभावित होते रहते है और इन्हीं थे शैली प्रभावित होती हे । अस्तु कबीर- ग्रंथावली का शैेलीवेज्ञाननिक अध्ययन प्रस्तुत करने के ललिए सर्वप्रथम शैली की प्रभावित करने वाले तत्वों में कबो र-व्थ्तित्व एवं उक्तछे युग का चविश्लेकण अनिवार्य ही जाता हे | किसी साहित्यकार की रचना को देखकर उसके व्यक्तित्व का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता हे क्योकि साहित्यकार का व्यक्तित्व उसकी शेली की प्रभावित करता है । उसका जैसा व्यक्तित्व ही उसी के अनुरूप उसकी अभिव्यजना पर्वत भी होगी ।. प्रसिद्ध विद्वान बफो ने शायद इसी ओर इंणित करते हुए कहा है - शेली स्वयं व्यक्त है अर्थात प्रत्येक व्यध्ति अपनी शेली में प्रीतिथबिम्बत होता हें । पश्चिमी विद्वानों में ददले ब्राउन जानसन एवं शेरन ने भी व्यीक्तत्व एवं शेली की अभिन्‍नता की स्वीवार किया हे । |1-+ डिकानरी आफ वर्ड लिटरेचर शिप्लाय पृ0 उ9१8 2- + माध्यम संघटक तथा संरपना में व्यस्त कलाकार का व्यितित्व ही शैली है -ददले उन लेल्क की शेनी उसकी उतनी हो अपनी होती है जितनी उसकी जंगुली -छाप- ब्राउन 4-४ दर व्यक्त को उपनी शेली होती हे । -डॉ0 जानसन 5-४ शैली का अर्थ कला त्मक अभ्िव्यीक्त में व्यीक्तत्व की िद्यमानता | - शेरन




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