वैदिक - विनय खंड 3 | Vaidik Vinay Khand 3
श्रेणी : धार्मिक / Religious, पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12.35 MB
कुल पष्ठ :
298
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about आचार्य अभयदेव विद्यालकार - Achary Abhaydev Vidyalakar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जी ाएरि उदीष्वें जीवों असु ने आगात् अप प्रागात्म आ ज्योतिरिति। आरेक पन््थां यातवे सयाय अगन्म यत्र प्रतिरन्त आयु? ॥ ऋण १.१३१.१६।॥ विनय उठो उठो हे मनुष्यों उठो जागो देखो यद्द प्रभात हो रहा है अन्धकार को चीर कर उषा की किरणें निकठ रददी हु। हमें जीवन प्रदान करती हुई दम में नवप्राण का संचार करती हुई यह दिव्य ज्योति उद्य हो रददी है । इस ज्योति के पाने के छिए जागो । भाइयों अनुभव करो कि हमारे जीवन में आज फिर एक नवप्रभात हुआ दै । अब तक हम अन्धरे में थे एक निष्प्राण और जीवनद्दीन जीवन बिता रहे थे । इस ज्योति का पवित्र संस्प् दम में आज जो नया चेतन्य
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