महान क्रान्तिकारी रासबिहारी बोस | Mahan Krantikari Rasbihari Bos

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Mahan Krantikari Rasbihari Bos by शंकर सहाय सक्सेना - Shankar Sahay Saxena

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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न सा इ मय ला कप महान क्ातिवारी रासचिहारी बोस प्र चरिताथ करन मे इसकी भावना मे सच्चाई ईमानदारी श्रौर पूरा मनोयोग दिस- लाई नहीं देता । जो साधन इसने भ्रपनाए है वे निता त श्रनुपयुक्त हैं श्रौर जिन नतताप्ा म इसे भ्रास्था है व नेता वनन यो य व्यक्ति नहीं हैं । ध्रयात इस समय हम श्रघधे नतृत्व मे चल रहे है-यदि वित्वुल श्रघ नहीं तो एक श्रास वाले नेतृत्व म उदोने वाप्रस की सरकार वी भिक्षा मागन वी नीति वो श्रमायय वर दिया । उठहहोने पहली बार देश में सशक्त स्वर मे कहा वि देश वो स्वत श्रता रूघिर श्ौर झ्रर्ति सम पवित्र होकर ही प्राप्त होती है । उनये लखा स वाग्रेस क्षेत्र मे एसी खलबली श्रौर झोभ उत्पन्न हुमा कि वे उन लेखा वे लखब वी तालग मे संग गए । परतु श्री श्ररिविंदू क्यो्िं बड़ौदा राज्य थी सेवा में थे इस पारेण उान उपनाम स व लिखे थे झस्तु लेखव का पता नहीं चल सबा । तब प्यायमूतति महादेव गाविद रानाड न इदु प्रकाश ये. सम्पादव देशपाडे से वहा मि यदि व दस प्रशर बे लेप छापते रह ता सरकार उतयवां गिरफ्तार कर लगी 1 इसी समय श्री श्ररिविद्ु ने देश वी हीन दशा थी झीपधि शक्ति प्राप्त वरने की प्रार भ्रपन प्रेरणादायक लख मे देश पा नीचे लिख शब्दा मे धाछ्वान विया । यदि हम झपरी ब द श्राखा वो खोले श्रीर हमार प्रासपास पृथ्वी मे प्रय देशा म जो हा रहा है उस पर दुष्टिपात बरें ता जहां भी हमारी ध्ब्टि जावेगी । तो हम देखेंगे वि हमारी हृप्टि वे समस शक्ति वा महान श्ौर विशाल पुज खड़ा है द्रति गति से उमरने वाली श्रसीम शक्ति रा विस्तार हो रहा है । हमारे चारा श्रांर विराट रूप ने बल श्र शक्ति वा प्रदशन हा रहा है । धूमकेतु वे समान शक्ति वी विवरालधारा प्रवाहित हो रही है। सब बीई बडा श्रौर मजबूत वन रहा है। युद्ध वी शक्ति धन की शक्ति विज्ञान वी शक्ति श्राज पहले की श्रपेक्षा से दस गुनी श्रधिक शक्तिशाली प्रौर भ्रचड हैं । सी गुनी श्रघिक भयकर शीघ्रगामी तथा अपने बाय मे व्यस्त है हजार गुनी अपने साधना श्रस्त्र शस्त्रा शरीर श्रौजारा मे वहुपु ज हैं । इतिहास इस वात वा साक्षी है कि मानव समाज मे शक्ति वा ऐसा विस्तार प्ौर विकास मानव जाति के इतिहास में बभी नहीं हुआ था । प्रत्यंक स्थान पर माता वाय कर रहीं है । उसके महान शत्ति शाली श्रौर निर्माण कारी हाथो मे ग्रगणित रूपा के राक्षस श्रसुर श्ौर रेवता सिमित होकर इस पृथ्वी रूपी श्रखाडे मे उतर रहे है । हमने पश्चिम म धीमी गति से परततु महान शक्तिशाली साश्राउयों के उदय वो देखा । हमने जापान बे तीव्र गति से श्रौर भ्ारोध्य तथा सतुप्ट न होने वाले नवजीवन को वियसित हाते दंखा । कुछ म्लेच्छ शक्तिया हैं जो काली भ्रयवा रक्तत्ण कमिज रंग की होती हैं उनम तमोगुण श्रौर रजो गुर वी श्रधिकता होती है 1 भ्रय झ्ाय थक्तिया है जो त्याग ब्रौर श्रात्म बत्तितान वी अग्नि में अवगाहत कर णुद्ध होकर निवलती है । पर तु झ्रपनी नई प्रावस्था मे सभी माता हैं जो वि सजन श्र पुन निर्माण का काय करती है। माता पुराना में नवीन भावना उडेलती है शभ्रौर वह नयो वो जीवन प्रदान करती है कितु भारत मे श्वास की गति बहुत धीमी है उसके पुननिर्माण में बहुत दर लग रही है । भारत जा म्रप्य त माचीन माता हैं पास्तव में पुन जम लने वे लिए




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