दूसरा पुरुष दूसरी नारी | Doosara Purush Doosari Nari

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : दूसरा पुरुष दूसरी नारी  - Doosara Purush Doosari Nari

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कृष्ण चंदर - Krishna Chandar

Add Infomation AboutKrishna Chandar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
दूसरा पुरुष दूसरी नारी १४५ सीमा ने बात का रुख पलटते हुए कहा, “आपको इस फैक्टरी मे कितनी भौरतें काम करती हैं ?” “एक भी नही ।” “एक भी नहीं ?” सीमा ने हैरत से पूछा । हा, एक् भी नहीं । इन दस बैचानिकों मे, जो यहा काम करते हैं और जिनमे अब मेरा नाम भी शामिल कर सकती हैं, एक भी वैज्ञानिक भीरत नहीं है।” “यह क्यो **” “मेरे पिता प्रोफेसर घोप और उनके साथी जरा पुराने खयाल के भादमी हैं । उनका खयाल है कि भौरत धहुत देर तक रहस्य छिपा नहीं सकती ।”” सीमा ज़ौर-जोर से हसने लगी । बोली, “आपके फैक्टरी के वैज्ञानिक बेहद दकियानूसी मालूम होते हैं। उह क्‍या मालूम की भाजकल की लडकियों के सीने मे इतने रहस्य सुरक्षित रहते हैं। जितनी अक्ल मर्दों के दिमाग में नहीं होती ।”' *पमैं आपकी बात का यकीन वर सकता हू ।” बादल बोला, “हालाकि मुझे औरत की अनुभूतियो और उसके मनोविज्ञान का कुछ इल्म नहीं है। मगर आइए, पहले मैं आपको फैक्टरी के भीतर ले चलू ।”” “क्या आप मुझे पूरी फैक्टरी दिखाएगे ?” सीमा ने पूछा “यह सवाल आपने क्यो पूछा ?” बादल ने जवाब मे सवाल किया। * क्योकि इस फैक्टरी में औरत के विरुद्ध इस कदर पूर्वाग्रह थौर अघ घारणा पाई जाती है।” “यह ठीव है कि पहले टूरिस्ट औरता को फैक्टरी दिखाई नही जाती थी । लेक्नि कुछ वर्पों मे औरतों के लगातार विरोध करने पर फैक्टरी के




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now