अरुण रामायण | Arun Ramayan
श्रेणी : धार्मिक / Religious, हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.66 MB
कुल पष्ठ :
354
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अचगरामायण
भौतिक, आध्यात्मिक गति के थुन्न मिठन की जय
सत्यानुकूल सचित समस्त साधन की जय
आधारित सदाचार पर जो, उस रण की जय
आनन्द-निनादित समतामय दासन की जय
मानवता की जय ही जीवन की महाविजय
प्ु-पक्नी-हित भी वने नहीं मानव नि्देय
आलोकित दौ्य करे जीवन-तम का विनाश
फैले पृथ्वी पर सत्य-मजग उज्ज्वछ प्रकाय
उत्प्रेरित वरे अतीत कि सुघरे वर्तमान
जगमगा उठे इतिहास-ज्योति से प्राण-प्राण
चारिनिव महिमा धारण वरें विदव-मानव
सात्विकता को तज कर न वने वह फिर दानघ
व्यापक विश्वाम-चेतना थो भर तजे नहीं,
वत्ते ब्य-विमुख हो प्रभु को केवल भजे नहीं
बेवल् कर्मो में ही न उलय जाए जीवन,
लात्मिक प्रथान्ति वे लिए दरे नर आराघन
अपने वो समझे वह भीतर से--चाहर से
आत्माभा को भी देखे वह अन्तरतर से !
-बाह्मीकि-वमल पर रख कर पावन तुलसी-दल
अपित वर कुछ अपना भी, कौन काव्य-विह्वठ ?
चेप्टा यह अनधिकार किसकी ? वह कौन बाठ ?
बसे वह पार वरेगा काव्यास्वुघि विदयाल ?
नास्तिव युग मे आस्तिक दुरसाहम यह किसका ?
माँसो मे बसे शुचि सौरभ सहसा गमका ?
क्सि काव्य-तपरया का पुनीत फ्ठ मिला आज ?
चामना-पक में केसे पवज खिला आज 7?
किसिवी यह अनुवम्पा वि प्राप्त पावन प्रसाद ?
मन ने बँसे बर लिया ग्रहण दिव्यात्मवाद ?
उमिल उर में विद्या-विवेव की किरण नहीं
बैप्णव-विधानमय भक्ति-निप्ठ आचरण नही
जग वा सामान्य ज्ञान भी ज्ञात नहीं मन वो
हुस वी थुश्नता प्राप्त नहीं वक-जीवन को !
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