हिंदी भाषा का उद्गम और विकास | Hindi Bhasha Ka Udgam Aur Vikash

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Hindi Bhasha Ka Udgam Aur Vikash by उदयनारायण तिवारी - Udaynarayan Tiwari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दा श्रथवा चुन्देलखंडी २५४-२द३; पूर्वी-हिन्दी २६३-२६५; श्वधी २६५- ९६८; गद्दोराबोली र६८; जूड़रवोली २६८-२६६; श्रवघी की विशेष- ताएँ ६६-२७०; अवधी की उत्पत्ति २७०-२०२; अवधी की उसकी श्न्य . बोलियों से तुलना; २७२-२७६; श्रवधी का महत्व २७६-२७७; श्वघी की विभापषाएँ तथा संक्षि्त-व्याकरणु २७७-२८२; बचेली र८र-२८७; छत्तीसगढ़ी; लरिया या खल्टाही रद७-२४४; बिहारी (भाप) का नामकरण, र६४-२६४४ विद्दारी तथा वंगाली संस्कृति २६५-२६६; बिहारी-भापषा की उत्पत्ति २६६-२६६; विद्दारी तथा हिन्दी २६६-३०४; विद्दारी-चोलियों को श्रान्तरिक एकता ३०४- दश० | उत्तर-पीठिका ३११-४१९२ सातवाँ अध्याय ३१३-३६६ हिन्दी की ध्वनियाँ--३१३; स्वर-ध्वनियाँ, ३१३-३१४; व्यंजन- ध्वनियाँ ३१४; स्थान श्र प्रयत्न के अनुसार ध्वनियों का विभाजन ३१४-३१६; प्रधान-स्वर ( (.घातठा091 ए०पटाड ) २१६-३१७; प्रधान-स्वर को निर्धारित करने की विधि ३१७-३१८; हिन्दी के मूल-स्वर ३१८-३२०; फुसफुसाहट वाले स्वर (४४ शाइफृहा6त ए०घ5 ) देर०-३२१; अनुनासिकस्वर २३२१-३२ सन्ध्यक्तर त्रथवा संयुक्त-स्वर ३२२-३२३; व्यल्न, स्पशं-व्यंजन ३२९३-३२ त्रानुनासिक-व्य॑जन ३ २४-३२४, पाश्विंक ३२४; लु ठित-व्यज्नन ३२५; उत्क्तिप्त या ताइनजात ३२४; संघर्पी-व्यंजन ३२६; अद्ध-त्वर या श्रन्तस्थ ३२६-३२७; स्व॒राघात ३२७; स्वराघातयुक्त अत्तर के स्वर (श्र) वि्व्त श्रक्षर में ३२७-३३० (रा) संदत्त अक्षर में ३३०-३३३; ददि-त्वर ३३४-३३५; श्रादि '्रार तथा दि झ्रच्र का श्रा ३३५४; पा० भा० श्रा० के संयुक्त-व्यंजनों से पूर्व का “शा? ३३५-३३६; पाचीन-भारतीय-श्राय॑-भाषा के श्रादि तथा आदि श्रत्तर के द, ई ३६-३३७; ग्राचीन-भारतीय-्राय-भापा के तथा. मध्यकालीन-भारतीय-श्राय- भापा के संयुक्त-व्यझ्न के पू्व॑वर्त्ती रादि एवं श्रादि अक्षर के उ; ऊ ३३७; प्रा० मा० ० का आदि एवं द्ादि-श्रचर-गत 'ए? 'ऐ” ३३७-३ रे; प्रा० भा० आ० के ब्यादि तथा त्रादि-ग्रच्चर-गत पत्र त्तरौ” ३३८; अन्त्य-त्वर ३ दे०- ३४१५ शब्दों के त्ाम्यन्तर-स्वर, श्रसम्पकत-स्वर ३४१-३४२; प्रा० भा० श्ा० का झाम्यन्तर द्सम्प कफित “श्र ३४२-३४३; प्रा० मा० श्रा० का दसम्पर्कित-याम्यन्तर 'इ; ई” ३४३; प्रा०्भा० श्रा० का श्रसम्पर्कित 'उ; ऊ' दे रे-३४४; प्रा ० भा० ० का झ्सम्पर्कित जन




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