संयुत्त - निकाय भाग 2 | Sanyutta Nikay Bhag - 2

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Sanyutta Nikay Bhag - 2 by भिक्षु जगदीश काश्यप - Bhikshu Jagdish Kashyap

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कर. झाकितप्त मुक्त ४. मेषसम्नसुषद १ शनिमित्त सुत्त १. सरक सु ११ अतुल सु १ सम्शोजिन झुत्त २. पढ़म इसिदत्त छुत्त ३. हुठिय इसिद्च छत हक मइछ सुर्त न. पब्म काममू पुत्त ६. हुतिप ऋममू सुर « योइअ पु «४. निमष्द झुत्त ग., शचेक सुस्त +. शिकातत्स्सभ सुझ 4 अप सुस्त थे. पुत्त सुत्त ३. सेपाजीय शुत्त के इत्चि सुत्त न. शत सुत्त ६. पच्ठाभूजक सुस के दसवा सुत्त «४ सद्ध छुच् १. कुछ सुच १. सलिचूछ शुत्त 1१ सद् पुष् कड़े शासिव सुत्त १६ बदठि सुस्त (१० ) आाकिद्ररपापतम नेबसंदानासंजशाबठन बबिसिंच-समाधि बुद्ध, घर्म संप में इह भद्धा से मगति जिस से झद्ध से सुगति सातपाँ परिरुछेष ३९ चित्त संयुच एस्बुराग ही बर्थत दे पाए को विभिस्वता सत्काप से दी सिप्षों इद्टियाँ मदक धारा भरद्धि प्रदुधग बिम्दृत उपदेस तीष प्रकार के संस्कार पक ली थाएे विसिस्म झष्द ज्ञाब बढ़ा है पा सदा ! अपेक कइयप की ब्इंत्य मासि खिप् गूइपति की खत्पु माठयाँ परिच्छेद ४० गामणी संधुस्त वर्ड ्ीर सूर करकाने के कारण बर लरक में उत्पन्न दोते दे सिचादिपों क7 पति इचिघदार मी गति शोचसबार की शसि लपपे कर्म से ही सुगति-ुर्गति बुद्ध थी दबा सब पर जिरष्दबातजुप की सिछ्धा उकडी कुक के थादा के एड कारण सामना के लिप सोगा-चरदी दिदित बी घृप्ता हुम्त्व का सूफ दि सप्पस मारो का उपदेवा धुद मादा शव्ते दि. माबाबी बुर्गति को आस दोता है. सिप्पाध्दि धाकों का दियपाए मदीं विभिन्न सत्तदाद डप्छएबाप, लकिषदाप पर्म बी घमापि शुकै पछ्१ हे प्नुचवे, पक्रि भू




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