ग्रेट ब्रिटेन का आधुनिक इतिहास | Great Briten Ka Adhunik Itihas

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Great Briten Ka Adhunik Itihas by राधाकृष्ण शर्मा - RadhaKrishna Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ब्रेट जिटेन को आधुनिक इतिदास “थी । चुद्ध वाणिष्य की बद्धि में जहुत सदापक होता है क्या चीजों की सॉस में चुद्धि होने से उनके मूल्य में स्रामावि ही पद्धि दा जाती दे | अत राधे बायियं पाए ्याधात पहुँचाती दे । १८१५, ई० की राति न द्यागिड टसति पे सुग या शव कर डाला । सुद्ध काल में सीदागरों तथा बारीगरों से मपिष्य में बिक के लिये कारी माल का सप्रह कर रा पा । लेकिन श्र वे निरास हो गये | ( रे ) सुद्ध में मद्दा- देश वो श्वत्पघि गरीब बा दिया या शरीर श्रत्र चीर्गा क॑ खरीदने की रासि किसी मेन थी।(ख) विदेशी साप्ट्र भी श्रपने उयादन एवं उपयोग घंघों को विकसित करने के लिये स्ववन ये । इस तरह ब्रिटेग के ध्यारारिक पुकादिकार बा शत हो चला । १८१३ १४ में मदादेशीय नियम के पतन के आाद इन राष्ट्रों से इंग्लैंड में श्रन्‍न निर्वात करना प्रारस्प कर दिया, जिसके फलस्तरस्द श्वन का सून लगभग शाधघा दो गया । ( ले ) दुद थी उमाहि के कारण युद्ध को साममियां वो स्थावश्यवत! ने रद गई | गत, घर बाइर सर्पत्र ही झगरेशी माला की माँग श्वस्पथिक कम हो गई । इस कारया जहुन से व्यवसाय शरीर कारताने बन्द रर देने पढ़े श्र उत्पादन मृतप्राय सा हो सया । किठने हो स्यवखापी दर्द श्रीर दियालिप है! दले । शाति के फलस्तररुप पक दूत बड़ी सख्या में युद्ध में काम करने चाले ध्यक्तियी 'और सैनिकों वा वार्य सपास हो गया। लगमग ५ हजार व्पन्ति श्रचानक बेकार हो गये और सपाद वो उनडी कोई अपश्यकता न रही (६) प्रचलिव साजनोतिक प्रणालो--पालमे दरी सुधार साय नितास्त वन रवक था । संप्ययुग के बाद से प्रगाधिकार श्र प्रतिनिधित्व से श्र तक किी प्रकार का सुधार नहीं हुनर था | पार्लमिन्टरी प्रणाली उठ काल की. ामाजशिव श्ाइश्यवताधीं के उपयुक्त नहीं थी । पालियामेंट में ठिफ जर्मीदार ही मरे पढ़े थे । शत पुरानी दूपित पालियामेंट ही उस समय की बहुन सी बुगइयें। की जननी थी | शोरी सरनार की प्रतिक्रिगबादी, श्र दसनकारों नीति भी इस स्थिति के लिये कम निस्मेवार न थी | बहुत से व्यक्ति यह सोचते थे कि राजनीतिक सुधारों के आाद उनकी झपनी सुविधाएँ समाप्त दा जापिंगो | ऐसे सुधार विरोधी लोग भी इस संकट पूर्ण स्थिति के लिये उत्तरदायी थे । ३. संझट की अमिव्यक्ति पक लोकोकि दे कि नाति का श्रम भूग्व से द्ोता है | इस भयावंद सकड माल में देश में लहाँ हाँ क्ठिने दी दये श्रौर पिद्रोद दो गये | लेक्नि ये बड़े पैमाने पर संगडित मीपण विद्वाइ नहीं ये श्ौर श्रावानों से डुचल दिये ये १ (१) इनमें प्रदुल था लडायरों का दगा निसझा नामकरण नेइलड नामक एक




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