दुनिया की कहानी आधुनिक युग | Duniya Ki Kahani Adhunik Yug

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Duniya Ki Kahani Adhunik Yug by राधाकृष्ण शर्मा - RadhaKrishna Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१४ दुनियां की कहानी क्षण में नयी शैली की श्रनेक इसारदें ब्के जिनमें पेरिस नगर का सग्रहालय विशेष इज्नेखनीय है | स्पेन, जमनी, सीदरलैंड तथा ईंगलैंड मे मी नयी अणाली के ब्राघार पर अनेक भवनों का निर्माण हुथा। इंगलैंट में संत पाल का गिरगापर नयी रीली का उत्तम नमूना है जिसका निर्माण सर क्रिस्टोफर रेन को देखरेस में हुआ था | इस सभी देशों में निमोण कला के श्रतिरिक्त मूत्ति तथा चित्रकलाओं का मी विकास हुआ । हैगहोलदीन ( १४६७-१३६३३ ) लूकस प्रैसाक तथा इयूरर ( १४७१- १५२८) जमनी फे श्रौर पेलेस्कलीज स्पेन के श्रमिद् कलाकार ये। शंगलैंड तथा फ्राकन में भी कुशल कलाकार उसन्न हुये ये और दोनों देशों में इटालिपन कलाकारों को आमन्शित किया गया था। हयुवर्ट तथा जॉन हॉर्लैंड के प्रसिद्ध चित्रकार थे । ये दोनो भाई ये और इनका उदय १५वयी सदी के पूर्वार्द में हुआ था। इस गुंग में भंगीत के चेत्र में भी उत्तति हुई । पहले के बाय यंत्रों तथा स्वर-लय में सुधार हुआ | मार्टिन लूथर ने रंगीत के महत्व को रामभा और इसे प्रोत्साहित किया। पेेद्धिना नान का व्यक्ति सेगीव का सबसे बड़ा आचार्य था। उसने पोप फे सरेण में धार्मिक संगीत का विकास किया था। उसने “मास आफ पो मारसेलस' मासक समीते-पुस्तक को स्वना की | द्रसस वह बड़ा लोकप्रिय हो गया । पुनरत्धानकालीन विज्षान के चमत्तार-मध्य युग में विज्ञान के विकास के लिये अनुकूल वातावरण नहीं था| मानत्र के मस्तिकक एवं चिन्तन पर प्रतिबन्ध लगा हुआ था। चर्च इस दिशा में बहुत बद्ा वापक या। उसे सत्य का शोध सहूय नही था। खत; स्तस्त्र विचाएको को कष्ड एवं कटिसाई का सामना करना पड़ता था। जितने जीते जी आग में भोंक दिय जाते थे। लेकिन सत्य के प्रकाश को दमन के सहारे कम करना या बुकाना मनुष्य के নুন मे बरही यात है। वैडानिक विकास के लिये मार्ग प्रशस्त होने लगा श्रीर पुनर्नागरण काल में विशन के विभिक्ष छेत्रो मे अद्भुत धरगति हुईं। इसके कई कारश हुए । सर्वश्रपम धर्म सुधार श्रान्दोलन से चर्च की शक्ति का दास होने लगा श्रीर धर्म का प्रभाव बटने लगा । इससे स्तत्र विनाम ক তি গুল बातावरण दैंदा होने लगा। दूंसरे, प्माधिशारियों की विरोधी एवं ढमनेकारी नीति से भी बैशनिक विचार घाग को प्रोत्साहन मिला। सत्य के पुजारी সমন নি্ালী। ঈ लिये अपने थराणो का भी बलिदान करने लगे | इससे छिडास्खों के प्रचार मे सहाप्रता मिलती थी। तीसर, राष्ट्रीय राख्यो के निर्माण ग्रेमी विज्ञान का पत्न रायल हुआ । चौगे, भोगोलिर अनुसस्धानों तथा अन्वेषणों से भी विज्ञान को গলে হাহ मिला । पचिवे, छागा भ सशय, अनुसन्धान और प्रयोग को भावना विकसित हुई अग्रेज संत रोजर बेन ( १२१०-६३ ६० ) को प्रयोगान्मक विशन শপ 5




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