दुनिया की कहानी | Duniya Ki Kahani

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Duniya Ki Kahani by राधाकृष्ण शर्मा - RadhaKrishna Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इतिहास श्र कुछ श्रन्य॑ बातें हर वह कोई काय मानव मात्र के कल्याणार्थ करता है श्ौर सबको श्रपने में श्रोर श्रपने को सब प्राणि मात्र में देखता है । लेकिन वर्तमान युग में उपयुक्त विश्वचन्धुत्व या श्रन्तर्राष्ट्रीय मावना का झमाव-सां है। इसका जन्म तो हो गया है किन्तु श्रमी यह शैशवावस्था में पड़ी कराह रही है । झा के भौतिक युग में सम्यता श्रपनी चरम सीमा पर पहुँच चुदी है, फिर भी वास्तविक श्र में सभ्य समाज का, जिसमे मानव मात्र की भलाई हो, निर्माण करना श्रभी बाकी है । भौतिऊता सवोध शिखर पर पहुँच गई है, किन्ठु यह शझाष्यात्मिकताबिद्दीन है । सभ्यता का मन-मोहक सुन्दर फून ख़िल,गया है परन्दु इसमें बन्धुत्व के इृदयग्राही सरस गन्व का समावेश नही हुम्रा है। यही कारण दै कि मनुष्य श्राकाश में उड़ लेता है लेकिन पृथ्वी पर रहना उसे नहीं श्राता । दुनियां के सामने यही समत्या उपस्थित है । यह तभी हल हो सकेगी जन कि व्यक्ति श्र समाज--व्यक्तिवाद श्र समश्टवाद-- भोतिकता श्रीर श्राव्यास्मिकता के बीच पूर्ण सामझस्य स्थापित हो ज्ञायगा | सभ्यता श्रोर संस्कृति ' छात्र यह जानना श्रावश्यक है कि सभ्यता तथा सस्कृति में क्या श्रन्तर है ! आग्रेजी मापा में इन्दे क्रमश: सिचिजिनेशन (01ं1158100) तथा कल्चर (00006) कहते हूँ | बहुत से लोग चः्यता तथा सस्कृति को पर्यायवाची शब्द समक मैठे हैं किन्दु यहू उनकी भूल है । दोनों में झन्तर है. यद्यपिं उनमें घनिष्ट सम्बन्ध है । सभ्यता का सम्भन्ध मनुष्य की मीतिक, झ्राथिक श्र सामाजिक उन्नति से है तथा सस्कृति का सम्बन्ध उसकी श्राष्यात्मिक, भावनात्मक श्रौर कलात्मक उन्नति से है । पहले में मानव दृष्टि बहिमु ही दे श्रीर दूसरे में झन्तमु'खी । मनुष्य पहले श्रसम्यठा की श्रवस्था से ऊपर उठकर सभ्यता प्राप्त करता दे श्रौर”तब उसमे संस्कृति का विकास होता है। (७) सभ्यता तथा संखृति के केन्द्र प्राचीन समय में सभ्यता तथा सस्कृति के क्षेत्र में एशिया सबसे श्रागे था । इसका श्धिकाश भाग मानव समाज की झादि लीला भूमि थी । मेसोपोटेमिया ( दक्षिण में बेनी- लोन श्रौर उत्तर में श्रष्वीरिया ), सीरिया ( बेशील्लोन के पश्चिम ), फिनीशिया ( सीरिया के पश्चिम का संकीर्ण भू साग ), ईरान (फारस), भारत श्र चीन--एशिया में प्राचीन सम्यता श्रौर सस्कृति के देन्द्र थे । झ्रफ़ीका के उत्तर में मिश्र श्रौर यूरोप के दक्लिन में क्रौट, यूनान ( प्रीस ) तथा रोम भी प्राचीन सभ्यता के प्रसिद्ध केन्द्र थे । प्राचीन काल में मि्र मी एशिया की भूमि से जुय हुझ्ना था । मध्यकाल में इनमें से कुछ केन्द्रों का हो पतन हो गया किम्दु चीन शरीर मारत जैसे बेन्द्र कायम रहे । इस युग में इस्लाम के झम्युद्य के साथ श्ररब संसार की प्रधानता स्थापित हुई । श्रर्वाचीन काल में श्रट्लाटिक महासागर पर स्पित्त इंगलैंड श्रौर श्रमेरिका सभ्यता तथा सस्कृति के क्षेत्र में श्रागे बढ़े ।




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