हिंदी भाषा और साहित्य शिक्षण | Hindi Bhasha Aur Sahitya Shikshan

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Hindi Bhasha Aur Sahitya Shikshan by राधाकृष्ण शर्मा - RadhaKrishna Sharmaरामदत्त शर्मा - Ramdutt Sharma

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राधाकृष्ण शर्मा - RadhaKrishna Sharma

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रामदत्त शर्मा - Ramdutt Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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द् शद्भधोच्चारण ध्वनि एवं उच्चारण सम्बन्धी दोषों का निराकरण घिचारणीय बिन्दु 1 शुद्ध उच्चारण कंते सभव है ? . शुद्ध उच्चारण का महत्त्व 1 - झथुद्ध उच्चारण क्यों ? ध्वनि एवं उच्चारण सम्बन्वी भूल क्यों ? ध्वनि एवं उच्चारण सम्दस्धी भ्रूलों का स्वरूप । . ध्वनि एवं उच्चारण सम्बन्धी भूलों के कारण । . उच्चारण में ध्वनि सम्बन्धी सामान्य दोप । 8. उच्चारण दोयों के निराकरण के उपाय । 9. निष्कर्ष 1 शुद्ध उच्चारण केसे संभव ? शुद्ध उच्चारण तभी संभय है जबकि हम जी वुछ बोलते हैं उसे किसी भी तरह स्वयं सुनकर यह जान लें कि हम कितनी मात्रा में श्रौर कहाँ-कहाँ श्रशुद्ध बोल रहे हैं। हम भ्रपनी ध्वनियाँ बिना किसी वैज्ञानिक उपकरण की सहायता के उस. रुप में नही सुन सकते हैं.जिस रूप में कि उरो हमारे बोलते समय दूसरे सुनते हैं । अतः हमें स्वयं हारा बोली गई ध्वमियों को सही रूप में सुनगे के लिए टेपरिकार्डर की जरूरत होगी । भपने उच्चारण का सट्ी रूप में सुन सकना झौर उसके झाधार पर अशुद्ध उन्वरित ध्वनियों को सही रूप में बोलने का निरन्तर अभ्यास करके ही हम बच्चों को शुद्ध उच्चारण करना .सिखा सकते हैं । घरेलू व्यक्तियों की ध्वनियाँ सुनते- सुनते हमारा भ्रभ्यास ऐसा बन जाता है कि अधुद्ध वोलकर भी शुद्ध समझने श्रौर शुद्ध बोलकर भी झशुद्ध समभने के हम श्रादी हो जाते हैं । कुन केयों है बोलकर भी कौन कह रहा है समकने झीौर कौन कह रहा है? उच्चारण को सुनकर के भी कुन क्यों है समकने का हमारा भ्रम्यास बन जाता है । झतः कक्षा में उच्चारण को घरेलू बोली से पृथक रखने की बड़ी जरूरत है 1 तभी हमसे उच्चारण सीखे हुए बच्चे शुद्ध बोल सकेंगे ौर शुद्ध सुन भी सकेंगे। न३3 छा फ दि प 9




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