चौदहवी शती के अपभ्रंश और हिंदी साहित्य में भारत | Chaudahvi Shati Ke Apbhransh Aur Hindi Sahitya Main Bharat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
27.77 MB
कुल पष्ठ :
360
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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सामान्यीकरण क॑ अनन्तर परिशिष्ट १ के सास्कृतिक शब्दानुक्रमणि 1 द्वारा
स्पष्ट किया गया है कि उस समय कैसे-कैसे लोग थे । वस्त्राभुषण, खानदान, सवार,
गुहुस्थोपयोगी सामग्री तथा मनोरजन बंया-वया थे । दत्कालीन सम्प्रदाय, देवी-देव८1,
घमिक प्रवीक और उपकरण के नामोल्लेख है । भाधिक शब्द कोश में उपज, कृषि
सम्ब घा-शब्द, गृहनिर्माण के लिए लडकी, वन-वृक्ष, उपबन के पेड-पीधे, पवत के
चुक्ष, यज्न-बृक्ष, मरु, खनिज पदाथ, समद्र में प्राप्त रतन, व्यवसायी, पण्यबीथी, नाबातो
बणिक के गुण तथा व्यापार की वस्तुएं दिख्ई गयी हैं । राजनीतिक शब्दकोश में
ऐतिहासिक राज य, राज्य के अधिकारी, कर्मचारी तथा परम्परागत , ३६ आयुधो के
नाम हैं। चतु षष्टिवला, कामवस्था, कान्य, भाषा-उपभाषा, व्याकरण, कोष
अलकार ग्रन्थ, छन्द ग्रथ, अपूर्व ग्रन्थ, कद्दानी, लेखन सामग्री, वैद्यक, सर्वोपधि
निरोगी, लघन-उपवास, निदान, मंत्र, चित्र, चौर, ज्योतिय, चत्य, वाद्य, विद्या,
विद्यावत, सगीत, स्थापप्य और इस्त विद्या सम्बन्धी शब्दावली है ।
परिशिष्ट २ में समसामयिक तनाव एवं सघष सम्बन्धी विवरण है ।
प्रारम्भ से सम्माननीय निदशक तथा विशेषज्ञों की सम्मत्ति से शोध के आधार
रूप में निम्नलिखित ग्रथ स्वीकृत हुए --
अपभध्र श-ग्रन्थ
१ प्राकृत पेंगलम (१४वी शती का प्रथम चरण) सग्राहक 'पिंगल”* सम्पादक ---
डा० भोलाशकर व्यास, प्रकाशक--प्राइत ग्रथ परिषद, वाराणसी प्र, स२०१६ |
( सकेत प्रावै० । )
र--वण रत्नाकर (१४वीं सदी का पुर्वाद्ध) ज्योतिरीश्वर कविशेखराचार्य मम्पादक--
सुनीतिकुमार चटर्जी तथा बबुआ मिश्र , प्रकाशक--रायल एशियप्टिक सोसाइटी
भाव बगाल, १९६४० ई० । ( सफकेत-वर० । )
३ ढोला मारू रा दूहा ( १४१ी सदी के लगभग ). रचयिता- अज्ञात, सम्पादक-+
रामधि्ट आदि, प्रकाशक--नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, स० २०१९ ।
( सफेत-वर० )
४ कादिलता रचयिता--विद्यापति, सम्पा० वासुदेवशरण अग्रवाल ( सरंत-की० ))
५ कछूली रास ( स० १३६३ ) रचयिता-प्रज्ञाविलिक सूरी, रास और रासा बयी
कान्य से, सम्पा० डा० दशरथ ओझा आदि, प्रकाशक--नागरीप्रचारिणी सभा”
वाराणसी, स० २०१६ ( सकेत-कछली० )
१ देखिए प्रापे, भाग २, भूमिका २० । २ वही, प्र० २२।
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