नीति धर्म दर्शन | Neeti Dharm Darshan
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
39.24 MB
कुल पष्ठ :
1166
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न १७ -
अपने राजनैतिक व्यवहार में किया। इस लर्थ में गांवी आत्मदल-सम्पन्न जघ्यात्म-
वार थे
न सदा 2. दार्यनिक न लेकिन
अब रहा दार्यानिक गांवी । यांघी तत्त्वदर्जी के जर्य में तो दार्चनिक थे लाकनत
तच्वचादा के लथ से नहीं । उन्दान लपन उकसा विधिप्ट सिद्धान्त का प्रतिपादन
की तत्त्वन्नान न शिया
नहीं किया। किसी तत्त्वनान के प्रदत्तेन का दावा नहीं किया ।' एक कवि ने कहा
22. पुराने 2 न नि क अपनी टिमसटिमाती ु मोमवत्तियाँ हब 2. 25 “र दिखाने
द् कि पुराने सारे बम अपनी टिमटिमाती हु मामदात्तर अकड़ दवा
लगे। उधर से तगड़ा सत्य लाया। एक न्ञकोर सें सारी मोसवत्तियां व गयीं ।
चर ५ #७ झ्स स्््स््द म्य्यन शा च्यवहार धन,
इस मम को गांवा न पकड़ा था । इसलिए उनका घन व्यूबद्वारमय था; व्यवद्धार
घर्ममय था और दोनों सत्यारभिमुख थे। यही गांवी का दर्दन है अर्थात उसकी
जीवन-निप्ठा ।
मैं एक ऐने विभूतिमत्सत्त्व की मीमांसा करने के लिए उच्चन हुआ जो निरन्तर
नवनवोन्मेप प्रकट करता रहा । मेरी अत्पदृष्टि में गांवी के जैन दर्घन हुए उनका
निरुूपण मैँचे यवामति किया है।
राइट टाउन,
जवलपुर। --दादा घर्माधिकारी
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