nनेपाली भानुभक्त रामायण | Nepali Bhanubhakt Ramayan
श्रेणी : धार्मिक / Religious, हिंदू - Hinduism
लेखक :
तपेश्वरी आमात्य - Tapeshvari Aamatya,
नन्द कुमार आमात्य - Nand Kumar Aamatya,
भानु भक्त - Bhanu Bhakt
नन्द कुमार आमात्य - Nand Kumar Aamatya,
भानु भक्त - Bhanu Bhakt
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18.82 MB
कुल पष्ठ :
344
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
तपेश्वरी आमात्य - Tapeshvari Aamatya
No Information available about तपेश्वरी आमात्य - Tapeshvari Aamatya
नन्द कुमार आमात्य - Nand Kumar Aamatya
No Information available about नन्द कुमार आमात्य - Nand Kumar Aamatya
भानु भक्त - Bhanu Bhakt
No Information available about भानु भक्त - Bhanu Bhakt
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१४५३] उनका एक श्रमिक घसियारे से साक्षात् हुआ। वह अपनी दीन-हीन अवस्था में भी अपने ग्राम में सार्वजनिक उपयोग के लिए एक कुआँ बनवाने हेतु कठिन कमाई में से धन सब्चित कर रहा था । इसने भानुभक्त के मन में सार्वजनिक सेवा की प्रवृत्ति को जन्म दिया । उस समय वालमी कि अध्यात्म आदि संस्कृत रामायणों का ही सबेंत्र आदर था । क्षेत्रीय भाषाओं में धार्मिक चरित्नों का गान पवित्र नहीं समझा जाता था । यह बात कुछ नेपाल में नई नहीं थी । हिन्दी में तुलसी बंगला में कृत्तिवास तेलुगु में कुम्हारिन मोल्ल आदि सभी के सामने संस्क्ताभिमानी पण्डितों की ओर से यह अवरोध उपस्थित हुआ । किन्तु इन्हीं सब के अनुसार श्री भानुभक्त ने भी जनभाषा में रामायण की रचना करके समाज-कल्याण का ब्रत लिया । इस सद्भावना का स्रोत वहीं श्रमिक घसियारा था ।. अस्तु भानुभक्त-रामायण की रचना -हुई। लिपि नागरी भानुभक्त रामायण की भाषा नेपाली किन्तु छन्द- रचना में संस्कृत छन्दों का अनुकरण है । शिखरिणी शार्दलविक्रीडित चसन्ततिलका आदि संस्कृत छ्दों की शैली पर ही काव्य की रचना है । पाठकों को पढ़ते समय ध्यान रखना चाहिए कि हलन्त और सस्वर को लेखाचुसार पाठ करें। राम भर राम का भेद ध्यान में रखना आवश्यक है। हिन्दी के अनुसार राम लिखकर राम जैसा उच्चारण करने पर छन्दोभज्ध हो जायगा।. भानुभक्त रामायण का आधार अध्यात्म रामायण है । तेपाल के तुलसी धानुभक्त महाराज की पुण्यलीला वि० सं० १९२४ आश्विन शुक्ल पब्चमी के दिन ४४ वर्ष की अवस्था में समाप्त हुई । प्रति वष॑ १३ जुलाई को उनकी जयन्ती मनाई जाती है । काशी में कुछ नेपाली प्रकाशकों ने भी भानुभक्त रामायण के संस्करण प्रकाशित किये हैं । किन्तु उनमें उन्होंने व्यवसायिक लक्ष्य से जनरुचि को अधिक आर्काषित करने के लिए अनेक अन्तकंथाएं प्रक्षिप्त कर दी हैं अपनी ओर से भानुभक्त की शेली पर रच कर जोड़ दी हैं । दूसरे उनमें हिन्दी भनुवाद का अभाव होने से वे नेपाली पाठक के ही प्रयोजन की रह जाती हैं ।_. अस्तु प्रस्तुत ग्रन्थ सानुवाद भाचुभक्त रामायण को पाकर हिन्दी-जगत् धन्य है । भुवन वाणी ट्रस्ट के भाषाई सेतुबन्धन में एक और शिलारोपण हुआ । अनुवाद नेपाली रामायण के अनुवादक को सुलभ करने में कुछ कठिनाई हुई। हम श्री नन्दकुमार आमात्य और उनकी धमंपत्नी सुश्री तपेश्वरी
User Reviews
No Reviews | Add Yours...