पलटू साहिब की बानी भाग - १ | Paltu Sahib Ki Bani Bhag I
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.72 MB
कुल पष्ठ :
108
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कुंडलिया
राई पखत करें करें. परबत को राह ।
अदना के सिर छात्र पेज की करें बड़ाइ ॥
लीला अगम अपार सकल घट झूंतरजामी ।
खाँहिं खिलावहिं राम देहिं हम को बदनामी ॥
हम सेाँ भया न होयगा साहिब करता मोर ।
देत लेत है आपुद्दी पलट पलट सोर ॥!
॥ संत छौर साथ ॥।
( रर
बढ़ा होय तेहि पूजिये संतन किया बिचार ॥
संतन किया घिचार ज्ञान का दीपक सीनन््हा ॥
देवता तेंतिस कोट नजर में सब को चीन्हा ॥
सब का खंडन किया खोजि के तीनि निकारा ।
तीनों में दुइ सही मुक्ति का एके द्वारा ।
हरि को लिया निकारि बहुर तिन मंत्र बिचारा ।
हरि हैं गुन के बीच संत हैं गुन से न्यारा ।
पलट प्रथमे संत जन दूजे है. करतार।
बड़ा द्दोय तेहि पूजिये_ संतन किया. बिचार ॥
सीतल चन्दन चन्द्रमा त्तैसे सीतल. संत ॥
तेसे सीतल संत जगत की ताप बुकावे ।
जो कोइ आवे जरत मधुर मुख बचन सुनावे ॥
धीरज सील सुभाव छिमा ना जात बखानी ।
कोमल अति स्दु बैन बच को करते पानी ॥
रदन चलन मुसकान ज्ञान को सुगंध लगाव ।
तीन ताप मिट जाय संत के दर्सन पावे ॥
पलटू ज्वाला उदर' की रहे न. मिटे तुरंत ।
सीतल चन्दन चन्द्रमा संसे सीतल. संत ॥
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